महाराष्ट्र में रेल संरचना को बड़ा बढ़ावा, 89,780 करोड़ की परियोजनाएं मंजूर
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महाराष्ट्र में 89,780 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाएं स्वीकृत। नई लाइनें, दोहरीकरण और मुंबई उपनगरीय नेटवर्क से यात्री क्षमता बढ़ेगी।
2009-14 की तुलना में 2025-26 में रेल बजट 20 गुना बढ़ा, नई पटरियों के निर्माण की गति तीन गुना से अधिक।
मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में एमयूटीपी परियोजनाओं और 238 नए लोकल रेक से भीड़ घटेगी और यात्री सुरक्षा बढ़ेगी।
नई दिल्ली | 20 दिसंबर, 2025 महाराष्ट्र में रेल अवसंरचना के क्षेत्र में अभूतपूर्व विस्तार देखने को मिल रहा है। भारतीय रेलवे ने राज्य में 89,780 करोड़ रुपये की लागत से 5,098 किलोमीटर लंबी नई लाइनों, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण से जुड़ी 38 बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य यात्री और माल परिवहन क्षमता बढ़ाने, भीड़भाड़ कम करने, सुरक्षा सुधारने और औद्योगिक व आर्थिक गतिविधियों को गति देना है।
रेल मंत्रालय के अनुसार, 2022-23 से 2025-26 के दौरान महाराष्ट्र में 8,603 किलोमीटर लंबाई से संबंधित 98 सर्वेक्षण स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें नई लाइनें, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण शामिल हैं। यह दर्शाता है कि राज्य को भविष्य की परिवहन आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।
बजट आवंटन में ऐतिहासिक वृद्धि
पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के लिए रेल बजट आवंटन में 20 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। जहां 2009-14 के दौरान औसतन 1,171 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का परिव्यय था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 23,778 करोड़ रुपये हो गया है। इस निवेश से रेल नेटवर्क का आधुनिकीकरण, नई कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय संतुलन को मजबूती मिल रही है।
नई पटरियों की रफ्तार तेज
नई रेल लाइनों के निर्माण की गति में भी बड़ा सुधार हुआ है। 2009-14 के दौरान जहां औसतन 58.4 किमी प्रति वर्ष नई पटरियां शुरू की गईं, वहीं 2014-25 में यह औसत बढ़कर 208.36 किमी प्रति वर्ष हो गया, जो तीन गुना से अधिक है। इससे माल ढुलाई और यात्री सेवाओं की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार आया है।
मुंबई उपनगरीय क्षेत्र पर विशेष फोकस
मुंबई उपनगरीय क्षेत्र, जहां प्रतिदिन लगभग 3,200 लोकल ट्रेनें और 120 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित होती हैं, वहां क्षमता वृद्धि के लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है।
एमयूटीपी-II, एमयूटीपी-III और एमयूटीपी-IIIए परियोजनाओं के तहत कुल 52,724 करोड़ रुपये की लागत से नई लाइनें, प्लेटफॉर्म विस्तार, पिट लाइन और स्टेबलिंग लाइन विकसित की जा रही हैं।
इसके अलावा, यात्री सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 19,293 करोड़ रुपये की लागत से 12 डिब्बों वाली, स्वचालित दरवाजों से युक्त 238 लोकल रेक स्वीकृत की गई हैं, जिनकी खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
प्रमुख परियोजनाएं और कनेक्टिविटी
महाराष्ट्र में पुणे–मिराज–लोंडा, मनमाड–जलगांव, उधना–जलगांव जैसे कई महत्वपूर्ण रेल कॉरिडोर पूरे हो चुके हैं, जबकि गोंदिया–बल्लारशाह, इंदौर–मनमाड, वर्धा–भुसावल जैसी परियोजनाओं पर तेजी से कार्य जारी है। ये परियोजनाएं न केवल राज्य बल्कि मध्य और दक्षिण भारत को जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
बुलेट ट्रेन और डीएफसी से आर्थिक बढ़त
महाराष्ट्र में हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 100% भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। वहीं, पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) का लगभग 178 किमी हिस्सा महाराष्ट्र से होकर गुजरता है, जिससे जेएनपीटी बंदरगाह को दिल्ली-एनसीआर से जोड़कर माल परिवहन क्षमता में भारी वृद्धि होगी।
समग्र दृष्टिकोण और चुनौतियां
रेलवे परियोजनाओं की मंजूरी यातायात संभावनाओं, आर्थिक लाभ, कनेक्टिविटी, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और निधि उपलब्धता जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। वहीं, भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृति और वैधानिक मंजूरियां जैसी चुनौतियां परियोजना पूर्णता को प्रभावित करती हैं।
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में रेल अवसंरचना का यह विस्तार राज्य को लॉजिस्टिक्स, शहरी परिवहन और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला साबित होगा।