विद्युत संशोधन विधेयक 2025 पर बड़ा मंथन, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में संसदीय परामर्शदात्री समिति की अहम बैठक

Sat 20-Dec-2025,07:15 PM IST +05:30

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विद्युत संशोधन विधेयक 2025 पर बड़ा मंथन, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में संसदीय परामर्शदात्री समिति की अहम बैठक
  • विद्युत संशोधन विधेयक 2025 पर चर्चा, टैरिफ सुधार, नवीकरणीय ऊर्जा और उपभोक्ता संरक्षण के जरिए 2047 तक मजबूत ऊर्जा क्षेत्र का लक्ष्य।

  • प्रस्तावित विधेयक में लागत-आधारित टैरिफ, नियामक सशक्तिकरण और उद्योगों के लिए विद्युत लागत को युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिया गया है।

  • गैर-जीवाश्म ऊर्जा, नेटवर्क साझाकरण और सहकारी संघवाद के प्रावधान भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेंगे।

Delhi / Delhi :

नई दिल्ली/ 20 दिसंबर, 2025 केंद्रीय विद्युत तथा आवासन और शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने 18 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित विद्युत मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का मुख्य उद्देश्य विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रारूप पर विस्तृत चर्चा करना और संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से सुझाव प्राप्त करना था। बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे विधेयक पर व्यापक और समावेशी विचार-विमर्श संभव हो सका।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 राष्ट्रीय महत्व का दस्तावेज़ है, जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए देश के विद्युत क्षेत्र की विधायी नींव को सुदृढ़ करने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में विद्युत अधिनियम लागू होने के बाद से उत्पादन, पारेषण और वितरण जैसे सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन वितरण क्षेत्र में वित्तीय असंतुलन और परिचालन अक्षमताएं अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित विधेयक में लागत के अनुरूप टैरिफ लागू करने और वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा समय पर भुगतान न किए जाने की स्थिति में नियामक आयोगों को स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार देने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकारें घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं जैसे प्राथमिकता वाले वर्गों को सब्सिडी देना जारी रख सकती हैं और इन उपभोक्ताओं पर किसी प्रकार का अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। इस तरह विधेयक वित्तीय अनुशासन और उपभोक्ता कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करता है।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि विधेयक का एक प्रमुख उद्देश्य भारतीय उद्योग, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। अंतर-सब्सिडी और अधिभारों से उत्पन्न विकृतियों को कम करके उद्योगों के लिए विद्युत लागत को युक्तिसंगत बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत हो सके।

विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि राज्य सरकारों के परामर्श से राज्य विद्युत नियामक आयोग (SERC) बड़े उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति करने की बाध्यता से डिस्कॉम को छूट दे सकेंगे। इससे बड़े उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी दरों पर अन्य स्रोतों से बिजली प्राप्त करने का विकल्प मिलेगा और डिस्कॉम पर निश्चित लागत का दबाव कम होगा, जिसका लाभ अंततः छोटे और घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा।

गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर बल देते हुए मंत्री ने कहा कि स्वच्छ और सतत ऊर्जा की ओर संक्रमण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। विधेयक में गैर-जीवाश्म स्रोतों से न्यूनतम विद्युत उपयोग दायित्व का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि को केवल दीर्घकालिक समझौतों तक सीमित न रखकर बाजार-आधारित तंत्र के माध्यम से भी सक्षम बनाने का प्रावधान किया गया है, जिससे डिस्कॉम पर वित्तीय बोझ कम होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार “सुगम जीवन” और “सुगम व्यापार” के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है। विधेयक में सेवा गुणवत्ता में सुधार, अनुपालन बोझ में कमी, वितरण नेटवर्क के साझाकरण और राइट-ऑफ-वे जैसे परिचालन सुधारों को शामिल किया गया है। नियामक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपीलीय अधिकरण (APTEL) की क्षमता बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया गया है।

सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विधेयक में विद्युत परिषद की स्थापना का प्रावधान है, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित हो सके। मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि विद्युत लाइन बिछाने के लिए उपयोग की गई भूमि के लिए किसानों को बाजार दर से जुड़ा उचित मुआवजा प्रदान किया जाएगा।

बैठक के दौरान सांसदों ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर सुझाव दिए और भविष्य के लिए तैयार, टिकाऊ और उपभोक्ता-केंद्रित विद्युत क्षेत्र के निर्माण की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। अंत में श्री मनोहर लाल ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए विधेयक को अंतिम रूप देने और संसद में पारित कराने के लिए सहयोग का आह्वान किया।