उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन 452 वोट से विजयी, विपक्ष को क्रॉसवोटिंग से झटका
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सीपी राधाकृष्णन 452 वोट से उपराष्ट्रपति चुनाव जीते.
विपक्ष को क्रॉसवोटिंग और अमान्य वोटों से नुकसान.
संसद में 767 सांसदों ने डाला मतदान, 15 वोट अमान्य.
Delhi / भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने कुल 452 वोट प्राप्त कर विपक्षी गठबंधन (INDIA) के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को परास्त किया, जिन्हें 300 वोट मिले। यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपनी रणनीति और एकजुटता दिखाने की पूरी कोशिश की। चुनाव में जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता थी, जिसे एनडीए उम्मीदवार ने आराम से पार कर लिया।
इस चुनाव में कुल 782 सांसद मतदान करने के पात्र थे। मंगलवार को हुए मतदान में 767 सांसदों ने वोट डाले, जिनमें से 15 वोट अमान्य घोषित कर दिए गए। यानी लगभग 2 फीसदी वोट इनवैलिड रहे। इन अमान्य वोटों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि सांसदों को भविष्य में बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी ताकि इस तरह की गलतियों से बचा जा सके।
एनडीए की ताकत इस चुनाव में साफ दिखाई दी। एनडीए के पास पहले से ही 427 सांसदों का समर्थन था। इसके अलावा वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों का समर्थन मिलने से यह संख्या 438 तक पहुंच गई। वहीं, बीजेपी ने दावा किया कि विपक्षी खेमे के 14 सांसदों ने क्रॉसवोटिंग की, जिससे एनडीए उम्मीदवार को अतिरिक्त बढ़त मिली। इन क्रॉस वोटों ने न केवल एनडीए की जीत सुनिश्चित की बल्कि विपक्ष को भी भारी नुकसान पहुंचाया।
विपक्षी दलों ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने की कोशिश की। उनका उद्देश्य यह संदेश देना था कि विपक्ष सरकार के खिलाफ एक मजबूत चुनौती पेश कर सकता है। हालांकि, संख्याबल की कमी और क्रॉसवोटिंग ने विपक्ष के प्रयासों को कमजोर कर दिया। एनडीए की रणनीति सफल रही और उन्होंने विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाकर जीत का अंतर और बढ़ा लिया।
यह चुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से जुलाई में इस्तीफे के बाद आयोजित किया गया। मतदान प्रक्रिया संसद परिसर के वसुंधा भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चली। इस दौरान संसद के दोनों सदनों के सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने सांसदों से अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट देने की अपील की थी। यही कारण रहा कि कुछ सांसदों ने क्रॉसवोटिंग की, जिससे एनडीए को फायदा हुआ। हालांकि, विपक्ष ने इस हार को अपनी एकजुटता की शुरुआत बताया और कहा कि वे आने वाले चुनावों में और मजबूती से उतरेंगे।
कुल मिलाकर, यह उपराष्ट्रपति चुनाव न केवल एनडीए की मजबूती का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विपक्ष को अभी लंबा रास्ता तय करना है। क्रॉसवोटिंग और अमान्य वोटों ने इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह की प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत है ताकि लोकतांत्रिक प्रणाली और भी मजबूत बन सके।