NCAER REPORT : कौशल वृद्धि और लघु उद्यम उत्पादकता से 2030 तक लाखों रोजगार संभव

Fri 12-Dec-2025,03:47 PM IST +05:30

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NCAER REPORT : कौशल वृद्धि और लघु उद्यम उत्पादकता से 2030 तक लाखों रोजगार संभव
  • रिपोर्ट में कौशल विकास और लघु उद्यमों की उत्पादकता को भारत में रोजगार वृद्धि के मुख्य घटक बताते हुए श्रम-प्रधान क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई।

  • डिजिटल तकनीक अपनाने वाले उद्यमों में रोजगार 78% अधिक पाया गया, जिससे तकनीक-सक्षम व्यवसायों के रोजगार योगदान में उल्लेखनीय क्षमता उजागर हुई।

  • अध्ययन के अनुसार, कुशल कार्यबल का विस्तार कर 2030 तक 93 लाख नई नौकरियां सृजित की जा सकती हैं, जो आर्थिक वृद्धि में बड़ा योगदान देगा।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) ने “भारत में रोजगार की संभावनाएं: रोजगार के रास्ते” शीर्षक से व्यापक अध्ययन रिपोर्ट जारी की, जिसे संस्था के उपाध्यक्ष मनीष सभरवाल ने प्रस्तुत किया। प्रोफेसर फरज़ाना अफरीदी और उनकी शोध टीम द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के रोजगार ढांचे को मजबूत करने के लिए कौशल विकास, लघु उद्यमों की उत्पादकता और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में विस्तार को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्षों में रोजगार वृद्धि का बड़ा हिस्सा स्वरोजगार के माध्यम से हुआ है, लेकिन कौशलयुक्त कार्यबल की ओर बदलाव की गति धीमी बनी हुई है। अध्ययन में यह भी उल्लेख है कि भारत का रोजगार भविष्य काफी हद तक उसके छोटे और गैर-पंजीकृत उद्यमों की क्षमता पर निर्भर करता है, जो आज भी सीमित पूंजी और तकनीक पर आधारित संचालन करते हैं।

शोध में यह भी पाया गया कि डिजिटल तकनीक को अपनाने वाले उद्यम 78% अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करते हैं। वहीं, ऋण सुविधा में 1% वृद्धि होने पर रोजगार में 45% तक बढ़ोतरी की संभावना उभरती है। रिपोर्ट बताती है कि यदि औपचारिक कौशल विकास के माध्यम से कुशल कार्यबल की हिस्सेदारी में 12% की वृद्धि की जाए, तो 2030 तक श्रम-प्रधान क्षेत्रों में 13% से अधिक नई नौकरियां सृजित की जा सकती हैं।

सिमुलेशन के आधार पर रिपोर्ट का अनुमान है कि कुशल कार्यबल में 9% अंकों की वृद्धि से 2030 तक 93 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा हो सकती हैं। अध्ययन विनिर्माण में वस्त्र, परिधान और जूता उद्योग तथा सेवाओं में पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को रोजगार वृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में पहचानता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में है, और बेहतर नीतिगत सहायता एवं कौशल केंद्रित दृष्टिकोण अपनाकर रोजगार सृजन को बड़ी गति दी जा सकती है।