क्या कैप का रंग बताता है पानी की क्वालिटी? BIS ने दूर किया बड़ा भ्रम
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
पैकेज्ड वाटर बोतलों के कैप रंगों पर बढ़ते भ्रम को BIS ने दूर किया। विशेषज्ञों ने बताया कि रंग का गुणवत्ता से कोई संबंध नहीं, यह सिर्फ ब्रांडिंग है।
नीला, सफेद, हरा, लाल, पीला और काला कैप अलग-अलग प्रकार के पानी से जोड़े जाते हैं, लेकिन यह वर्गीकरण पूरी तरह मार्केटिंग आधारित होता है।
BIS विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि पैकेज्ड वाटर के कैप रंगों का पानी की गुणवत्ता से कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं होता, यह केवल ब्रांड डिजाइन पर निर्भर है।
एजीसीएनएन/ पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर बाजार में इन दिनों एक अनोखी बहस तेजी से सुर्खियों में है क्या पानी की बोतल के कैप का रंग उसके प्रकार और गुणवत्ता को दर्शाता है? सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट्स और उपभोक्ताओं की बढ़ती जिज्ञासा ने इस विषय को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। हालांकि, पानी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने इस भ्रम को स्पष्ट रूप से दूर कर दिया है। उनके अनुसार, भारत में बोतल के कैप रंगों को लेकर कोई अधिकृत मानक या गुणवत्ता निर्धारण नियम मौजूद नहीं है। कंपनियां अपनी ब्रांडिंग रणनीति और पैकेजिंग डिजाइन के तहत ही रंगों का चयन करती हैं।
बाजार में प्रचलन के आधार पर कुछ रंगों को विशेष प्रकार के पानी से जोड़कर देखा जाने लगा है। उदाहरण के तौर पर, नीला कैप आमतौर पर सामान्य पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर या RO treated पानी में, सफेद कैप प्रीमियम प्योर वाटर में, हरा कैप नेचुरल स्प्रिंग या हर्बल इंफ्यूज्ड वाटर में, लाल कैप फ्लेवर्ड या सोडा-मिश्रित पानी में, पीला कैप लेमन/विटामिन वाटर में और काला कैप अल्कलाइन वाटर में दिखाई देता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह वर्गीकरण केवल कंपनियों की मार्केटिंग रणनीतियों और उपभोक्ता आकर्षण पर आधारित होता है, न कि किसी वैज्ञानिक या आधिकारिक मानक पर।
🔵 नीला कैप (Blue Cap)
सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला कैप रंग नीला है। यह आमतौर पर साधारण पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर, RO या UV treated पानी और मिनरल वॉटर के लिए प्रयोग किया जाता है। मात्रा में सुरक्षित और व्यापक स्तर पर मिलने वाला यह पानी BIS-ISI मार्क के साथ बाजार में उपलब्ध होता है।
⚪ सफेद कैप (White Cap)
सफेद कैप अक्सर प्रीमियम श्रेणी के पानी में देखने को मिलता है। एयरपोर्ट, होटल या कॉरपोरेट पैकेजिंग में मिलने वाले कई ब्रांड इसे ‘प्रीमियम प्योर वाटर’ या ‘लो सोडियम वाटर’ के रूप में पेश करते हैं। हालांकि यह अंतर भी पूरी तरह कंपनी की मार्केटिंग रणनीति पर निर्भर करता है।
🟢 हरा कैप (Green Cap)
हरा कैप आमतौर पर ‘नेचुरल स्प्रिंग वॉटर’, ‘हर्बल इंफ्यूज्ड वाटर’ या पर्यावरण-अनुकूल लाइन के लिए उपयोग किया जाता है। कई कंपनियां इसे अपने इको-फ्रेंडली ब्रांड इमेज को मजबूत करने के लिए अपनाती हैं।
🔴 लाल कैप (Red Cap)
लाल कैप का उपयोग साधारण पानी में कम होता है। यह ज्यादातर फ्लेवर्ड वॉटर, स्पार्कलिंग वॉटर या सोडा-मिश्रित पानी में देखा जाता है। स्थानीय स्तर पर कुछ ब्रांड इसे अपनी पहचान के लिए भी अपनाते हैं।
🟡 पीला कैप (Yellow Cap)
पीला कैप ग्राहकों का ध्यान तुरंत आकर्षित करता है और अक्सर इस पर आधारित उत्पाद लेमन वाटर, विटामिन वाटर या हल्के फ्लेवर्ड वाटर के रूप में बेचे जाते हैं। कई कंपनियां ब्रांडिंग के उद्देश्य से भी इसका उपयोग करती हैं।
⚫ काला कैप (Black Cap)
काला कैप तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर ‘अल्कलाइन वाटर’ और ‘ब्लैक हाई pH वॉटर’ (pH 8–10) के साथ। यह पानी स्वास्थ्य-चेतन उपभोक्ताओं को लक्ष्य बनाकर बाजार में उतारा जाता है, और महंगी कीमतों पर उपलब्ध होता है।
कानूनी स्थिति क्या कहती है?
BIS ने स्पष्ट किया कि उनका प्रमाणन केवल पानी की शुद्धता, सुरक्षा, टेस्टिंग, TDS स्तर, सोर्स और प्रोसेसिंग मानकों पर आधारित होता है। कैप का रंग उनकी सूची का हिस्सा नहीं है। इसलिए यह मान लेना कि किसी विशेष रंग का कैप गुणवत्ता या पानी के प्रकार का संकेत देता है, गलत धारणा है।
उपभोक्ताओं की गलत धारणाओं पर विराम
हाल के दिनों में सोशल मीडिया पोस्ट्स के कारण यह भ्रम फैल गया था कि नीला कैप RO पानी का, सफेद कैप खनिज पानी का और काला कैप उच्च गुणवत्ता वाले अल्कलाइन पानी का संकेत देता है। विशेषज्ञों ने इन दावों को आधा-अधूरा और भ्रामक बताया है। उनका कहना है कि एक ही रंग का उपयोग कई ब्रांड अलग-अलग प्रकार के पानी में करते हैं, इसलिए केवल रंग देखकर निर्णय लेना गलत होगा।
क्या कहता है उद्योग?
वॉटर इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रंग तय करने के पीछे मुख्य उद्देश्य पैकेजिंग डिजाइन और ब्रांड को अलग दिखाना होता है। रंग मनोविज्ञान (color psychology) और उपभोक्ता आकर्षण भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए एक रंग को किसी खास प्रकार के पानी के रूप में सार्वभौमिक रूप से मान लेना संभव नहीं है।
कुल मिलाकर, बोतल के कैप रंगों को लेकर बढ़ रही चर्चाओं ने उपभोक्ता जागरूकता को तो बढ़ाया है, लेकिन भ्रम भी साथ लाए हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पानी खरीदते समय कैप का रंग देखकर नहीं, बल्कि प्रमाणित सुरक्षा मानकों को देखकर निर्णय लेना ही सही होगा।