नीति आयोग ने भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करने के लिए प्रमुख सुधारों की रिपोर्ट जारी की
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रिपोर्ट में कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करने के लिए कानूनी ढांचे, बाजार अवसंरचना और निवेशक विविधता पर व्यापक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
नीति आयोग के सीईओ ने विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को हासिल करने में दीर्घकालिक, कम लागत वाली पूंजी जुटाने हेतु बॉन्ड बाजार की अहम भूमिका बताई।
अध्ययन में मध्यम कंपनियों को प्रोत्साहन, डिजिटल नवाचार, क्रेडिट संवर्धन और दीर्घकालिक निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने जैसे कई सुधार पहलुओं का सुझाव दिया गया।
New Delhi/ नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने 11 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में “भारत में कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करना” शीर्षक रिपोर्ट जारी की। इस विशेष अवसर पर नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति रही, जहां भारत के वित्तीय तंत्र को और अधिक सक्षम, लचीला और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाने पर जोर दिया गया।
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को एक मजबूत, विविध और दीर्घकालिक पूंजी जुटाने में सक्षम वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार इस परिवर्तनकारी प्रक्रिया का मुख्य आधार बन सकता है, क्योंकि यह न केवल जोखिम साझाकरण को अधिक प्रभावी बनाता है बल्कि बैंकिंग प्रणाली पर अत्यधिक निर्भरता को भी कम करता है।
रिपोर्ट में भारत के मौजूदा बॉन्ड बाजार का व्यापक आकलन किया गया है, जिसमें इसकी संरचनात्मक चुनौतियों, सीमित निवेशक आधार, कम तरलता और अपेक्षाकृत कमजोर द्वितीयक बाजार गतिविधियों जैसे मुद्दों को रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में बाजार ने उल्लेखनीय विस्तार किया है, फिर भी वैश्विक मानकों की तुलना में इसकी क्षमता अभी भी काफी अधिक है।
इस दस्तावेज़ में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण के आधार पर कई सुधारों का खाका तैयार किया गया है। इनमें कानूनी और नियामक फ्रेमवर्क को मजबूत करना, बाजार अवसंरचना को और पारदर्शी बनाना, मध्यम आकार की कंपनियों को बांड जारी करने के लिए प्रोत्साहन देना, बीमा और पेंशन फंड जैसे दीर्घकालिक निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना, और क्रेडिट संवर्धन तंत्र को सुदृढ़ करना शामिल है।
रिपोर्ट में हरित बॉन्ड, संक्रमणकालीन वित्त, लंबी अवधि के बॉन्ड और डिजिटल नवाचार जैसे टोकनाइज्ड बॉन्ड और एकीकृत डेटा सिस्टम को बाजार विकास के नए स्तंभों के रूप में पहचाना गया है।
कार्यक्रम के दौरान सुब्रह्मण्यम ने रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह अध्ययन भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए एक व्यावहारिक और भविष्योन्मुखी दिशा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह दीर्घकालिक और किफायती पूंजी जुटाने में निर्णायक योगदान देगा।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि बेहतर पूंजी बाजार अवसंरचना, व्यापक निवेशक आधार और पारदर्शिता में वृद्धि से न केवल बाजार की स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि बुनियादी ढांचे, एमएसएमई और उभरते क्षेत्रों के लिए नए वित्तपोषण अवसर भी उत्पन्न होंगे।