2014-2025 में भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण: विरासत संरक्षण से वैश्विक नेतृत्व तक

Wed 17-Dec-2025,04:14 PM IST +05:30

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2014-2025 में भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण: विरासत संरक्षण से वैश्विक नेतृत्व तक
  • 2014-2025 के बीच विरासत संरक्षण, तीर्थ पुनर्विकास और वैश्विक सांस्कृतिक कूटनीति से भारत की सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय गौरव को नई मजबूती मिली।

  • काशी विश्वनाथ, महाकाल लोक, अयोध्या राम मंदिर और केदारनाथ परियोजनाओं से आध्यात्मिक पर्यटन, कनेक्टिविटी और श्रद्धालु सुविधाओं में बड़ा सुधार हुआ।

  • यूनेस्को धरोहर स्थलों, योग दिवस और WAVES 2025 के जरिए भारत ने वैश्विक सांस्कृतिक नेतृत्व और सॉफ्ट पावर को प्रभावी रूप से स्थापित किया।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने नई दिल्ली स्थित डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि वर्ष 2014 से दिसंबर 2025 के बीच प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण, संवर्धन और वैश्विक प्रस्तुति के लिए अभूतपूर्व और बहुआयामी पहलें की हैं। इन प्रयासों से भारत की सांस्कृतिक पहचान सुदृढ़ हुई है और राष्ट्रीय गौरव व आत्मविश्वास को नई ऊर्जा मिली है।

डॉ. कुमार ने बताया कि इस अवधि में ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार, आधुनिक अवसंरचना विकास, प्राचीन पांडुलिपियों और कलाकृतियों का डिजिटलीकरण, अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक सहयोग तथा भारत की आध्यात्मिक परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन का महाकाल लोक, अयोध्या में श्रीराम मंदिर, केदारनाथ मंदिर पुनर्विकास, माँ कामाख्या मंदिर, जूना सोमनाथ मंदिर और सोमनाथ क्षेत्र में विरासत विकास परियोजनाओं ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार किया है और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया है।

मंत्री ने बताया कि तीर्थ स्थलों तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चार धाम राजमार्ग परियोजना, हेमकुंड साहिब रोपवे, बौद्ध सर्किट विकास और करतारपुर साहिब कॉरिडोर को प्रभावी रूप से लागू किया गया, जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम यात्रा सुविधा मिली। विरासत आधारित पर्यटन को गति देने के लिए प्रसाद योजना के तहत 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 54 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई, जबकि स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत 5,290.30 करोड़ रुपये की लागत से 76 पर्यटन सर्किट परियोजनाएं मंजूर की गईं।

डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इन पहलों का सकारात्मक असर पर्यटन क्षेत्र में स्पष्ट दिखाई देता है। जून 2025 तक भारत में आने वाले पर्यटकों की संख्या 16.5 लाख रही और विदेशी मुद्रा आय 51,532 करोड़ रुपये तक पहुंची। वर्ष 2023 में 95.2 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने के लिए सरकार ने निरंतर प्रयास किए हैं। वर्ष 1976 से अब तक 655 प्राचीन वस्तुएं भारत लाई जा चुकी हैं, जिनमें से 344 वस्तुएं 2014 के बाद प्राप्त हुई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राष्ट्रीय स्मृति और राष्ट्र निर्माताओं को सम्मान देने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक, डॉ. अंबेडकर पंचतीर्थ, प्रधानमंत्री संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, जलियांवाला बाग स्मारक, भारत मंडपम और नया संसद भवन जैसे प्रतिष्ठित स्मारकों का विकास किया गया है।

मंत्री ने बताया कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सांस्कृतिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिली। WAVES 2025 जैसे वैश्विक सम्मेलनों, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और आयुष पहल के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति को वैश्विक पहचान मिली है।

डॉ. कुमार ने कहा कि भारत में वर्तमान में 44 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 14 नए स्थल 2014 के बाद जोड़े गए हैं। इसके अलावा, दीपावली, भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को सूचियों में शामिल किया जाना भारत की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वैश्विक प्रमाण है। उन्होंने कहा कि 2014–2025 की ये पहलें भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की मजबूत आधारशिला हैं और आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक सांस्कृतिक नेतृत्वकर्ता बनाएंगी।