National Herald Case: कोर्ट के फैसले के बाद खरगे का मोदी–शाह से इस्तीफे की मांग, कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन

Wed 17-Dec-2025,05:48 PM IST +05:30

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National Herald Case: कोर्ट के फैसले के बाद खरगे का मोदी–शाह से इस्तीफे की मांग, कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन National-Herald-Case
  • नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट ने संज्ञान लेने से किया इनकार.

  • खरगे ने मोदी-शाह से इस्तीफे की मांग की.

  • कांग्रेस ने देशभर में किया प्रदर्शन.

Delhi / Delhi :

Delhi / कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट पर अदालत द्वारा संज्ञान लेने से इनकार किए जाने के बाद केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की है। नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए खरगे ने कहा कि यह फैसला साफ तौर पर साबित करता है कि नेशनल हेराल्ड मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था और इसका उद्देश्य केवल कांग्रेस और गांधी परिवार को बदनाम करना था।

खरगे ने याद दिलाया कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना वर्ष 1938 में स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी और इसका इतिहास देश की आज़ादी की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इस ऐतिहासिक अखबार को मनी लॉन्ड्रिंग जैसे निराधार आरोपों से जोड़कर उसकी साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। उनके अनुसार, इस पूरे मामले में न तो कोई अवैध लेनदेन हुआ और न ही किसी तरह की संपत्ति का गलत इस्तेमाल किया गया।

इस मुद्दे पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सरकार और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तभी बनता है जब पैसे या अचल संपत्ति का अवैध हस्तांतरण हुआ हो, लेकिन नेशनल हेराल्ड केस में ऐसा कुछ भी नहीं है। आज भी सभी संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास ही हैं। सिंघवी ने स्पष्ट किया कि एजेएल को ऋण-मुक्त करने के लिए ‘यंग इंडियन’ नाम की एक नई कंपनी बनाई गई थी, जो एक सामान्य और कानूनी व्यावसायिक प्रक्रिया है।

सिंघवी ने यह भी कहा कि ‘यंग इंडियन’ एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जिसके निदेशकों को न कोई वेतन मिलता है, न डिविडेंड और न ही किसी तरह का भत्ता। इसके बावजूद इस प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग बताना पूरी तरह से हास्यास्पद है। उन्होंने बताया कि यह मामला 2014 में एक निजी शिकायत से शुरू हुआ था और उस दौरान सीबीआई व ईडी ने खुद अपनी फाइलों में माना था कि इसमें कोई प्रेडिकेट ऑफेंस नहीं बनता। इसी कारण वर्षों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, लेकिन 2021 में अचानक ईडी द्वारा ईसीआईआर दर्ज किया जाना राजनीतिक द्वेष को दर्शाता है।

कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का खुला उदाहरण है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब अधिकृत एजेंसी द्वारा एफआईआर दर्ज ही नहीं की गई, तो चार्जशीट पर संज्ञान लेने का कोई आधार नहीं बनता। कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत वरिष्ठ नेताओं से करीब 90 घंटे पूछताछ की गई, संपत्तियां कुर्क की गईं और किराये तक रोक दिए गए, फिर भी जांच एजेंसियों के हाथ कुछ नहीं लगा।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर सड़कों से संसद तक संघर्ष करेगी। उनका कहना है कि केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है, जिसे जनता के सामने उजागर किया जाएगा। इसी क्रम में बुधवार को लखनऊ, अहमदाबाद सहित देश के कई शहरों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किए और लोकतंत्र की रक्षा की मांग की।