विश्व ध्यान दिवस: उपराष्ट्रपति ने कान्हा शांति वनम में ध्यान की वैश्विक भूमिका पर दिया बल
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विश्व ध्यान दिवस समारोह में उपराष्ट्रपति ने ध्यान को मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक संतुलन और सामाजिक सद्भाव का सार्वभौमिक माध्यम बताया।
विकसित भारत @2047 और मिशन लाइफ के लक्ष्यों में ध्यान को मानसिक व आध्यात्मिक आधार के रूप में रेखांकित किया गया।
तेलंगाना/ भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने तेलंगाना के कान्हा शांति वनम में आयोजित ‘विश्व ध्यान दिवस’ समारोह में भाग लिया और ध्यान को मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन तथा सामाजिक सद्भाव का प्रभावी माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि तेज़ रफ्तार आधुनिक जीवन में ध्यान केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक स्पष्टता और आंतरिक स्थिरता प्राप्त करने की सार्वभौमिक पद्धति है।
सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान सांस्कृतिक, भौगोलिक और धार्मिक सीमाओं से परे मानवता को जोड़ने वाला अभ्यास है। उन्होंने ‘विश्व ध्यान दिवस’ को आत्मचिंतन और आंतरिक परिवर्तन के बढ़ते महत्व को पहचानने का अवसर बताया। इस संदर्भ में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव का उल्लेख किया, जिसके सह-प्रायोजन में भारत की अहम भूमिका रही और जिसके तहत 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ घोषित किया गया।
श्री राधाकृष्णन ने कहा कि इस वैश्विक मान्यता से मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास में ध्यान की शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता मिली है। उन्होंने हार्टफुलनेस मेडिटेशन के आध्यात्मिक मार्गदर्शक दाजी कमलेश डी. पटेल के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ध्यान के प्रसार में उनका कार्य लाखों लोगों को शांति और संतुलन की ओर प्रेरित कर रहा है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान हमारे देश में मन और आत्मा का प्राचीन विज्ञान रहा है, जिसे ऋषि-मुनियों ने विकसित किया। भगवद्गीता और तमिल के महान ग्रंथ ‘तिरुमंथिरम’ की शिक्षाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मन पर नियंत्रण से ही व्यक्ति आंतरिक शांति, आत्म-बोध और बेहतर जीवन की दिशा में आगे बढ़ता है।
उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में ध्यान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान भी होना चाहिए। ध्यान के माध्यम से एक ऐसा समाज निर्मित किया जा सकता है जो चुनौतियों का सामना धैर्य से करे और आपसी सद्भाव को मजबूत बनाए।
‘मिशन लाइफ’ के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान जागरूकता, जिम्मेदारी और प्रकृति के साथ सामंजस्य जैसे गुणों को विकसित करता है, जो सतत जीवनशैली के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए कान्हा शांति वनम की पहल की सराहना की।
नागरिकों से अपील करते हुए श्री राधाकृष्णन ने कहा कि ध्यान को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को भी मानसिक संतुलन व शांति को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा, मंत्री श्री डी. श्रीधर बाबू, दाजी कमलेश डी. पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। हजारों लोगों ने सामूहिक ध्यान सत्र में भाग लिया।