MDNIY में विश्व ध्यान दिवस: योग और विज्ञान से तनाव प्रबंधन पर दिया गया बल

Mon 22-Dec-2025,12:03 PM IST +05:30

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MDNIY में विश्व ध्यान दिवस: योग और विज्ञान से तनाव प्रबंधन पर दिया गया बल
  • वैज्ञानिक अध्ययनों में ओम जाप और योग निद्रा को मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन के लिए प्रभावी बताया गया।

  • कार्यक्रम ने “स्वस्थ मन, स्वस्थ भारत” के लक्ष्य के लिए दैनिक जीवन में ध्यान को अपनाने का आह्वान किया।

Delhi / New Delhi :

New Delhi/ आयुष मंत्रालय के अधीन मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY) ने कल विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर विशेष ध्यान सत्रों और संवादात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विद्वानों, योग साधकों, छात्रों और उत्साही प्रतिभागियों ने भाग लिया। आयोजन का उद्देश्य आधुनिक जीवन में बढ़ते तनाव से निपटने के लिए प्राचीन योगिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के समन्वय को सामने लाना था।

MDNIY के निदेशक प्रो. (डॉ.) काशीनाथ समागंडी ने अपने संबोधन में ध्यान के नैदानिक और वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धी वातावरण में 60 से 70 प्रतिशत तनाव व्यावसायिक प्रकृति का होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक असंतुलन बढ़ता है। पतंजलि योगसूत्र में वर्णित तकनीकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से शरीर-मन संतुलन को पुनः स्थापित किया जा सकता है।

समकालीन शोध का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि न्यूरोइमेजिंग अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि ओम के उच्चारण से मस्तिष्क के एमिग्डाला क्षेत्र की गतिविधि कम होती है, जो भय और नकारात्मक भावनाओं से जुड़ा होता है। एफएमआरआई अध्ययनों में यह भी देखा गया है कि तेज आवाज में ओम जाप करने से विश्राम अवस्था की तुलना में अधिक गहन शांत प्रभाव उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के शोधों के अनुसार योग निद्रा से मस्तिष्क की क्रियाओं में सकारात्मक बदलाव आता है, जिससे तनाव में उल्लेखनीय कमी होती है।

कार्यक्रम में रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली के स्वामी मुक्तिमयानंद ने ध्यान की आध्यात्मिक परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्थायी शांति के लिए आत्म-समझ और अंतर्मुखी होना आवश्यक है। उन्होंने यम और नियम के पालन पर बल देते हुए अहंकार, ईर्ष्या और अधूरी इच्छाओं से मुक्त होने की प्रेरणा दी।

विभिन्न ध्यान तकनीकों के व्यावहारिक सत्रों के साथ कार्यक्रम का समापन “स्वस्थ मन, स्वस्थ भारत” के संदेश के साथ हुआ। कार्यक्रम में लगभग 700 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही।