जैम फॉरवर्ड ऑक्शन से 2,200 करोड़ की सरकारी संपत्तियों का पारदर्शी निपटान

Mon 22-Dec-2025,02:55 AM IST +05:30

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जैम फॉरवर्ड ऑक्शन से 2,200 करोड़ की सरकारी संपत्तियों का पारदर्शी निपटान GeM-Forward-Auction
  • जैम फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल ने 2021–2025 में 2,200 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्तियों का डिजिटल, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी निपटान किया।

  • 13,000 से अधिक नीलामियों और 23,000 से ज्यादा बोलीदाताओं की भागीदारी से यह प्लेटफॉर्म राष्ट्रव्यापी डिजिटल तंत्र के रूप में उभरा।

  • स्क्रैप, ई-कचरा, वाहन, भूमि और भवन जैसी विविध परिसंपत्तियों के कुशल निपटान से शासन और पर्यावरणीय लक्ष्यों को बल मिला।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने अपने फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल के माध्यम से सरकारी संपत्तियों के निपटान की प्रक्रिया को पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और तकनीक-संचालित बना दिया है। 21 दिसंबर 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2021 से नवंबर 2025 के बीच इस मॉड्यूल ने 2,200 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी संपत्तियों के निपटान को संभव बनाया है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में GeM अब केवल खरीद मंच नहीं, बल्कि परिसंपत्ति प्रबंधन का भी एक सशक्त माध्यम बन चुका है।

GeM मूल रूप से मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए वस्तुओं और सेवाओं की खरीद का डिजिटल प्लेटफॉर्म है। किंतु फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल ने एक अतिरिक्त भूमिका निभाते हुए सरकारी स्क्रैप, ई-कचरा, पुराने वाहन, मशीनरी, भवन और भूमि जैसी परिसंपत्तियों के निपटान को सुव्यवस्थित किया है। यह प्रक्रिया पहले जहां कागजी कार्रवाई, सीमित प्रतिस्पर्धा और अपारदर्शिता से ग्रस्त थी, वहीं अब एक ऑनलाइन प्रतिस्पर्धी बोली तंत्र के जरिए निष्पक्ष और कुशल बन गई है।

फॉरवर्ड ऑक्शन एक ऐसी डिजिटल बोली प्रक्रिया है, जिसमें विभाग किसी परिसंपत्ति को प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध करते हैं। पंजीकृत बोलीदाता वास्तविक समय में प्रतिस्पर्धी बोलियां लगाते हैं और उच्चतम बोली को सफल घोषित किया जाता है। GeM का सुरक्षित डिजिटल इंटरफेस विभागों को आरक्षित मूल्य तय करने, भागीदारी की शर्तें निर्धारित करने और पूरी नीलामी प्रक्रिया की लाइव निगरानी की सुविधा देता है। इससे न केवल मूल्य खोज बेहतर होती है, बल्कि जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है।

इस मॉड्यूल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह देशभर के सभी क्षेत्रों और भौगोलिक इलाकों से सरकारी संपत्तियों को एक मंच पर लाता है। इनमें पुराने प्रिंटर, लैपटॉप और आईटी उपकरण जैसे ई-कचरा; औद्योगिक व गैर-औद्योगिक मशीनरी; स्क्रैप और धातु-अधातु सामग्री; उपयोग के बाद के वाहन; आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत उपयोग के लिए पट्टे पर दी गई भूमि व भवन; तथा छात्रावास, पार्किंग स्थल और टोल बूथ जैसी संपत्तियों के उप-पट्टे शामिल हैं। यह विविधता इस बात का संकेत है कि फॉरवर्ड ऑक्शन अब एक राष्ट्रव्यापी परिसंपत्ति निपटान तंत्र बन चुका है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो 13,000 से अधिक नीलामियां आयोजित की गईं, जिनमें 23,000 से ज्यादा पंजीकृत बोलीदाताओं ने भाग लिया और 17,000 से अधिक नीलामीकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता दर्ज हुई। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि फॉरवर्ड ऑक्शन अब कोई प्रयोगात्मक पहल नहीं, बल्कि परिपक्व और व्यापक रूप से अपनाई गई प्रणाली है।

देश के विभिन्न हिस्सों से सामने आए उदाहरण इस बदलाव को और मजबूत करते हैं। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा लखनऊ के अलीगंज में 100 ईडब्ल्यूएस फ्लैटों की नीलामी से 34.53 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। इस प्रक्रिया के लिए एसबीआई ने औपचारिक रूप से GeM फॉरवर्ड ऑक्शन टीम की सराहना की। इसी तरह, राष्ट्रीय चिड़ियाघर, नई दिल्ली ने लंबे समय से अनुपयोगी पड़ी वस्तुओं को इस मॉड्यूल के जरिए निपटाकर आरक्षित मूल्य से अधिक की बोली हासिल की, जिससे परिचालन दक्षता में सुधार हुआ।

हाल की नीलामियों में एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनरल्स इंडिया लिमिटेड द्वारा 3.35 करोड़ रुपये मूल्य के जिप्सम की बिक्री, जम्मू डिवीजन में क्षतिग्रस्त वाहनों का निपटान, सीमा सड़क संगठन द्वारा कबाड़ नीलामी, गुलमर्ग में छात्रावास का पांच साल का पट्टा और स्पर्टार की झील में नौका विहार अधिकारों की नीलामी शामिल हैं। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि यह प्लेटफॉर्म स्क्रैप से लेकर रियल एस्टेट तक हर तरह की परिसंपत्तियों के लिए उपयुक्त है।

बोलीदाताओं के लिए भागीदारी प्रक्रिया भी सरल और संरचित है। इच्छुक प्रतिभागी GeM पोर्टल पर पंजीकरण कर, पैन कार्ड व आवश्यक दस्तावेज जमा कर, सत्यापन के बाद लाइव नीलामी में हिस्सा ले सकते हैं। अधिकांश नीलामियां सार्वजनिक होती हैं, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होती है।

व्यापक रूप से देखें तो फॉरवर्ड ऑक्शन केवल परिसंपत्ति निपटान तक सीमित नहीं है। यह अपारदर्शिता घटाने, प्रशासनिक देरी कम करने, सार्वजनिक संसाधनों से बेहतर प्रतिफल दिलाने और ई-कचरा प्रबंधन के जरिए पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने में भी योगदान देता है। जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ रहा है, यह भारत की सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन व्यवस्था में डिजिटल पारदर्शिता और दक्षता का नया मानक स्थापित कर रहा है।