प्रधानमंत्री मोदी ने असम में अमोनिया-यूरिया संयंत्र की रखी आधारशिला

Sun 21-Dec-2025,09:14 PM IST +05:30

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प्रधानमंत्री मोदी ने असम में अमोनिया-यूरिया संयंत्र की रखी आधारशिला PM-Modi-Lays-Foundation-of-Ammonia-Urea-Plant-in-Assam,-Boosts-Farmer-Welfare
  • प्रधानमंत्री मोदी ने असम के नामरूप में अमोनिया-यूरिया परियोजना की आधारशिला रखी। परियोजना से किसानों, रोजगार और आत्मनिर्भर भारत को बल मिलेगा।

  • असम के नामरूप में अमोनिया-यूरिया परियोजना से उर्वरक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और पूर्वोत्तर के किसानों को समय पर खाद उपलब्ध होगी।

  • 11,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना से हजारों रोजगार सृजित होंगे और क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने और सब्सिडी जारी रखने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

Assam / Dibrugarh :

असम/ 21 दिसंबर, 2025 को असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने असम वैली उर्वरक एवं रसायन कंपनी लिमिटेड (एवीआरसीएल) की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना न केवल असम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए औद्योगिक, कृषि और आर्थिक विकास का नया द्वार खोलने वाली मानी जा रही है। इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे “विकसित भारत” के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया।

असम की वीर भूमि को नमन और ऐतिहासिक विरासत का स्मरण

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत असम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को नमन करते हुए की। उन्होंने कहा कि यह धरती चाओलुंग सुखापा, महावीर लछित बोडफुकन, भीमबर देउरी, कुशल कुंवर और वीर सती साधनी जैसे महान नायकों की भूमि है, जिन्होंने देश और समाज के लिए अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उजानी असम की यह भूमि वीरता, बलिदान और स्वाभिमान की प्रतीक रही है और आज उसी भूमि से विकास की नई कहानी लिखी जा रही है।

जनसभा में उमड़ा जनसैलाब, माताओं-बहनों का विशेष उल्लेख

प्रधानमंत्री ने जनसभा में बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों का अभिवादन किया और विशेष रूप से माताओं एवं बहनों की भागीदारी को सराहा। उन्होंने कहा कि असम की महिलाएं केवल आशीर्वाद ही नहीं, बल्कि अपने साथ चाय बागानों की खुशबू और परंपरा भी लेकर आई हैं। यह खुशबू उनके और असम के बीच के भावनात्मक संबंध को और मजबूत करती है। उन्होंने सभी लोगों के स्नेह और प्रेम के लिए आभार व्यक्त किया।

असम और पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक दिन

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन असम और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि नामरूप और डिब्रूगढ़ क्षेत्र का वर्षों पुराना सपना अब साकार हो रहा है। यह परियोजना केवल एक औद्योगिक इकाई नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में औद्योगिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में असम ने विकास की नई गति पकड़ी है और यह परियोजना उस गति को और तेज करेगी।

उद्योग, कनेक्टिविटी और विकास का समन्वय

प्रधानमंत्री ने बताया कि नामरूप उर्वरक परियोजना के साथ-साथ गुवाहाटी हवाई अड्डे के नए टर्मिनल जैसे बुनियादी ढांचे के विकास से असम में कनेक्टिविटी और उद्योग दोनों को मजबूती मिल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से असम में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, नए उद्योग और निवेश के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।

11,000 करोड़ रुपये का निवेश, उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता

प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी दी कि इस अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना में लगभग 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। परियोजना के पूर्ण होने पर प्रतिवर्ष 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का उत्पादन किया जाएगा। इससे न केवल असम बल्कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसानों को भी लाभ मिलेगा। स्थानीय स्तर पर उत्पादन से आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी और परिवहन लागत में भी कमी आएगी।

किसान कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिया कि देश के किसानों और अन्नदाताओं की भूमिका विकसित भारत के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों को केंद्र में रखकर नीतियां बना रही है। उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है, ताकि किसानों को खेती के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो।

उर्वरक सब्सिडी और किसानों को राहत

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि सरकार किसानों को उर्वरक अत्यंत सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि एक बोरी यूरिया की वास्तविक लागत हजारों रुपये होती है, लेकिन सरकार सब्सिडी देकर किसानों को यह लगभग 300 रुपये में उपलब्ध कराती है। अंतर की पूरी राशि सरकार वहन करती है, ताकि किसानों पर कोई आर्थिक बोझ न पड़े। उन्होंने किसानों से उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने की अपील भी की।

रोजगार सृजन और स्थानीय युवाओं के लिए अवसर

प्रधानमंत्री ने कहा कि नामरूप उर्वरक परियोजना से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। संयंत्र के संचालन, रखरखाव, परिवहन, मरम्मत और अन्य सहायक सेवाओं से स्थानीय युवाओं को स्थायी रोजगार मिलेगा। इससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और पलायन की समस्या में भी कमी आएगी।

पिछली सरकारों की उपेक्षा और वर्तमान सरकार के प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नामरूप एक समय पूर्वोत्तर भारत में उर्वरक उत्पादन का प्रमुख केंद्र रहा है। लेकिन पुरानी तकनीक और पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण यहां की कई इकाइयां बंद हो गई थीं। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ा और उन्हें उर्वरक के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार उन समस्याओं का समाधान कर रही है, जिन्हें वर्षों तक नजरअंदाज किया गया।

देशभर में उर्वरक उत्पादन बढ़ाने पर जोर

प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में यूरिया उत्पादन लगभग 225 लाख मीट्रिक टन था, जो अब बढ़कर लगभग 306 लाख मीट्रिक टन हो गया है। सरकार का लक्ष्य देश को यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी और रामागुंडम जैसे क्षेत्रों में नए उर्वरक संयंत्र इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और नई कृषि योजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि सरकार बीज से लेकर बाजार तक किसानों के साथ खड़ी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक लगभग 4 लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी नई योजनाएं शुरू की गई हैं, जो कृषि को और अधिक सशक्त बनाएंगी।

चाय बागान श्रमिकों और ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री ने असम के चाय बागान श्रमिकों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने साढ़े सात लाख से अधिक श्रमिकों के जनधन खाते खुलवाए हैं। इससे उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि चाय बागान क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।

‘सबका साथ, सबका विकास’ से बदली तस्वीर

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सोच ने देश के गरीबों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। पिछले 11 वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले हैं और एक नया मध्यम वर्ग उभरा है। गांवों में अब मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज और बेहतर आवास जैसी सुविधाएं आम होती जा रही हैं।

पूर्वोत्तर भारत बनेगा विकसित भारत का इंजन

अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत विकसित भारत का इंजन बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। नामरूप की यह उर्वरक परियोजना उसी परिवर्तन का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में पूर्वोत्तर भारत आत्मनिर्भर भारत का एक मजबूत स्तंभ बनेगा और सही मायनों में ‘अष्टलक्ष्मी’ की भूमिका निभाएगा।