किडनी स्टोन क्यों बनते हैं? जानिए कारण, बचाव और 10 असरदार घरेलू उपाय

Tue 23-Dec-2025,01:48 AM IST +05:30

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किडनी स्टोन क्यों बनते हैं? जानिए कारण, बचाव और 10 असरदार घरेलू उपाय
  • कम पानी पीना, ज्यादा नमक और ऑक्सलेट युक्त आहार किडनी स्टोन बनने का सबसे बड़ा कारण है।

  • आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे वरुण, पथरचट्टा और गोखरू पथरी को घोलने और बाहर निकालने में सहायक हैं।

  • पर्याप्त पानी, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या अपनाकर किडनी स्टोन की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ सर्दी हो या गर्मी, किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी आज एक आम लेकिन बेहद तकलीफदेह स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। बदलती जीवनशैली, गलत खानपान और पानी की कमी के कारण भारत में किडनी स्टोन के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर दर्द, पेशाब में रुकावट, संक्रमण और यहां तक कि किडनी फेलियर तक का कारण बन सकती है।

किडनी स्टोन असल में खनिज और लवण के क्रिस्टल होते हैं, जो पेशाब के जरिए बाहर न निकल पाने पर धीरे-धीरे कठोर पत्थर का रूप ले लेते हैं। सामान्य तौर पर कैल्शियम ऑक्सलेट, यूरिक एसिड, स्ट्रुवाइट और सिस्टीन स्टोन सबसे अधिक पाए जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में पानी की कमी होने पर यूरिन गाढ़ा हो जाता है, जिससे खनिज आपस में चिपककर पथरी बना लेते हैं।

किडनी स्टोन बनने के मुख्य कारण

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कम पानी पीना किडनी स्टोन का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा अत्यधिक नमक का सेवन, ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पालक, चॉकलेट और नट्स का अधिक उपयोग, रेड मीट और प्रोटीन की अधिकता, मोटापा, तनाव और शारीरिक गतिविधि की कमी भी पथरी बनने का खतरा बढ़ाते हैं। गर्मी के मौसम में पसीना ज्यादा निकलने और पेशाब कम आने से यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

एक अध्ययन के अनुसार किडनी स्टोन के करीब 80 प्रतिशत मामले केवल डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी के कारण होते हैं। इसका अर्थ यह है कि यदि लोग अपनी पानी पीने की आदत सुधार लें तो बड़ी संख्या में पथरी की समस्या से बचा जा सकता है।

आयुर्वेद में किडनी स्टोन का उपचार

आयुर्वेद में किडनी स्टोन को “अश्मरी” कहा गया है और इसके उपचार के लिए कई प्रभावी जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों का उल्लेख मिलता है। ये उपाय न केवल पथरी को घोलने में मदद करते हैं बल्कि पेशाब के रास्ते उसे बाहर निकालने में भी सहायक होते हैं।

वरुण (Crataeva nurvala) को आयुर्वेद में सबसे प्रभावशाली लिथोट्रिप्टिक जड़ी माना गया है, जो पथरी को तोड़ने में मदद करती है।
पथरचट्टा के पत्तों का रस नियमित सेवन करने से छोटे स्टोन धीरे-धीरे घुलकर बाहर निकल सकते हैं।
गोखरू किडनी की सफाई करता है और यूरिन फ्लो बढ़ाकर स्टोन पास होने में सहायता करता है।

इसके अलावा मकोय, अजवाइन के बीज, कुल्थी दाल, पुनर्नवा, नींबू पानी, मक्का के रेशे (कॉर्न सिल्क) और नारियल पानी को भी पारंपरिक रूप से किडनी स्टोन में लाभकारी माना गया है। नींबू में मौजूद साइट्रेट कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है, जबकि नारियल पानी मूत्र प्रवाह बढ़ाकर पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।

पानी ही सबसे बड़ा इलाज

विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि किडनी स्टोन से बचाव और इलाज का सबसे सरल और प्रभावी उपाय पर्याप्त मात्रा में पानी पीना है। दिनभर में हर एक घंटे में आधा गिलास पानी पीने से यूरिन पतला रहता है और स्टोन बनने की संभावना कम हो जाती है। “पानी, पानी और सिर्फ पानी” को किडनी स्टोन का पहला इलाज माना जाता है।

दोबारा स्टोन न बने, इसके लिए जरूरी सावधानियां

डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को एक बार किडनी स्टोन हो चुका है, उनमें दोबारा पथरी बनने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में नमक और चीनी का सेवन कम करना, सोडा और कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाना, पालक-टमाटर-चुकंदर सीमित मात्रा में खाना, रोजाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलना और सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना बेहद जरूरी है।

कुल मिलाकर, किडनी स्टोन एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली समस्या है। सही जानकारी, समय पर सावधानी और आयुर्वेदिक व चिकित्सकीय सलाह अपनाकर न केवल इससे राहत पाई जा सकती है, बल्कि भविष्य में इसके खतरे को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।