डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म से 660 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी पर लगी रोक, प्लेटफॉर्म पर 1000 से अधिक बैंक और संस्थान जुड़े

Mon 22-Dec-2025,11:33 PM IST +05:30

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डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म से 660 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी पर लगी रोक, प्लेटफॉर्म पर 1000 से अधिक बैंक और संस्थान जुड़े India-Stops-₹660-Crore-Cyber-Fraud-via-DoT-Digital-Intelligence-Platform
  • डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर 1000 से अधिक बैंक और संस्थान जुड़े, साइबर धोखाधड़ी रोकने में मजबूत नेटवर्क तैयार।

     

  • वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक से छह महीनों में 660 करोड़ रुपये के संभावित साइबर नुकसान को रोका गया।

  • संचार साथी प्लेटफॉर्म से नागरिकों की भागीदारी बढ़ी, संदिग्ध कॉल और फर्जी कनेक्शन पर त्वरित कार्रवाई संभव।

Delhi / New Delhi :

दिल्ली/ भारत में साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच दूरसंचार विभाग (DoT) की एक अहम पहल ने बड़ी सफलता हासिल की है। विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) और वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) के माध्यम से न सिर्फ दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग पर रोक लगी है, बल्कि बीते महज छह महीनों में 660 करोड़ रुपये की संभावित साइबर धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिली है। यह जानकारी 22 दिसंबर 2025 को साझा की गई।

दूरसंचार विभाग के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के सक्रिय सहयोग से FRI को प्रभावी रूप से लागू किया गया। इसके परिणामस्वरूप, 1000 से अधिक बैंक, तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन प्रदाता (TPAP), भुगतान प्रणाली संचालक (PSO) और वित्तीय संस्थान अब डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हो चुके हैं और इस प्रणाली का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं।

डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर बढ़ती भागीदारी
DoT ने बताया कि DIP एक सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों के बीच साझा की जाती हैं। वर्तमान में इस प्लेटफॉर्म से लगभग 1050 से अधिक संगठन जुड़े हैं, जिनमें केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), बैंक, वित्तीय संस्थान, टेलीकॉम सेवा प्रदाता, GSTN, UIDAI, CBDT और यहां तक कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं।

FRI से 660 करोड़ रुपये का नुकसान टला
22 मई 2025 को लॉन्च किए गए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) ने कम समय में ही अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, FRI के जरिए बड़ी संख्या में संदिग्ध लेनदेन को या तो समय रहते रोक दिया गया या ग्राहकों को अलर्ट जारी किया गया। इससे बैंकिंग प्रणाली को लगभग 660 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान से बचाया जा सका।

FRI संदिग्ध मोबाइल नंबरों को मध्यम, उच्च और अत्यंत उच्च जोखिम की श्रेणी में वर्गीकृत करता है। यह वर्गीकरण NCRP पोर्टल, DoT के चक्षु प्लेटफॉर्म, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं से प्राप्त खुफिया सूचनाओं के आधार पर किया जाता है।

साइबर अपराध का बदलता स्वरूप
हाल के वर्षों में भारत में साइबर अपराध का स्वरूप तेजी से बदला है। जालसाज अब संगठित डिजिटल गिरोहों की तरह काम कर रहे हैं। डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले, फर्जी कॉल, सिम-बॉक्स नेटवर्क और कानूनी टेलीकॉम चैनलों को दरकिनार करने जैसे नए तरीके सामने आए हैं। ऐसे जटिल परिदृश्य में जन भागीदारी साइबर अपराध से लड़ने की सबसे मजबूत कड़ी बनकर उभरी है।

संचार साथी: नागरिकों की ताकत
दूरसंचार विभाग की नागरिक-केंद्रित पहल “संचार साथी” इस पूरी प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। www.sancharsaathi.gov.in पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से नागरिक संदिग्ध कॉल, एसएमएस, फर्जी कनेक्शन और खोए या चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट कर सकते हैं। यह प्लेटफॉर्म एंड्रॉइड और iOS दोनों पर उपलब्ध है।

DoT के अनुसार, संचार साथी ऐप के बढ़ते डाउनलोड और सक्रिय उपयोग से यह साफ है कि नागरिक साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क और जागरूक हो रहे हैं। जागरूक उपयोगकर्ता जहां खुद को सुरक्षित रखते हैं, वहीं वे कम जानकारी वाले नागरिकों की रक्षा में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

संदिग्ध कॉल की रिपोर्टिंग से बढ़ी सुरक्षा
संचार साथी के जरिए कॉल लॉग से कुछ ही टैप में संदिग्ध धोखाधड़ी वाली कॉल की रिपोर्ट की जा सकती है। इससे टेलीकॉम ऑपरेटर और एजेंसियां धोखाधड़ी के पैटर्न पहचानने, फर्जी नंबर ब्लॉक करने और बार-बार अपराध करने वालों पर कार्रवाई करने में सक्षम हो पाती हैं।

DoT की अपील और प्रतिबद्धता
दूरसंचार विभाग ने सभी नागरिकों से संचार साथी वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का अधिकतम उपयोग करने की अपील की है। विभाग ने दोहराया कि अंतर-एजेंसी सहयोग, खुफिया जानकारी आधारित नीतियां और नागरिकों की भागीदारी भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

RBI, NPCI, SEBI, PFRDA, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, भुगतान ऑपरेटरों और आम नागरिकों के सहयोग से DoT एक सुरक्षित, भरोसेमंद और मजबूत डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहा है।