केंद्र ने मनरेगा का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम किया
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केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम किया, जिसका उद्देश्य योजना की पहचान और प्रभाव बढ़ाना है।
नया नाम ग्रामीण रोजगार सुरक्षा, श्रमिक गरिमा और आजीविका स्थिरता को सुदृढ़ करते हुए मनरेगा के मूल सिद्धांतों को और अधिक स्पष्ट करेगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद योजना नए ब्रांडिंग के साथ देशभर के ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के अकुशल रोजगार की गारंटी प्रदान करती रहेगी।
Delhi/ केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा निर्णय लेते हुए मनरेगा का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी मिल गई। सरकार का मानना है कि नया नाम योजना के मूल उद्देश्य-ग्रामीण आजीविका और रोजगार सुरक्षाको अधिक स्पष्ट और प्रभावी रूप में दर्शाता है।
मनरेगा देश की सबसे महत्वपूर्ण ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनाओं में से एक है। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का अकुशल कार्य उपलब्ध कराया जाता है।
यह कानून 7 सितंबर 2005 को संसद से पारित हुआ था और 2 अक्टूबर 2006 को महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर लागू किया गया। प्रारंभ में इसे 200 जिलों में लागू किया गया था, जिसे बाद में पूरे देश में विस्तारित किया गया।
सूत्रों के अनुसार, नाम परिवर्तन का उद्देश्य योजना को नई पहचान देना और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को मजबूत करना है। केंद्र सरकार मानती है कि संशोधित नाम महात्मा गांधी के ग्रामीण विकास, श्रम सम्मान और आत्मनिर्भरता के विचारों को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम योजना के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्धता की विश्वसनीयता भी सुदृढ़ करेगा।