AI से बदलेगी भारत की हेल्थकेयर तस्वीर; बायोटेक व जीन थेरेपी में सरकार-उद्योग साझेदारी मजबूत

Fri 12-Dec-2025,06:41 PM IST +05:30

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AI से बदलेगी भारत की हेल्थकेयर तस्वीर; बायोटेक व जीन थेरेपी में सरकार-उद्योग साझेदारी मजबूत
  • स्वास्थ्य सेवा और फार्मा सेक्टर में एआई आधारित निदान, दवा खोज और टेलीमेडिसिन से उपचार की दक्षता और पहुंच तेजी से बढ़ रही है।

  • सरकार जीन थेरेपी, बायोटेक, वैक्सीन और बायो-मैन्युफैक्चरिंग में निजी उद्योग के साथ मिलकर स्वदेशी तकनीक विकसित कर रही है।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा और फार्मा सेक्टर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का विवेकपूर्ण उपयोग भारत के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कदम साबित हो सकता है। सीआईआई फार्मा एंड लाइफ साइंसेज समिट 2025 में संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि एआई अब विकल्प नहीं, बल्कि दवा खोज, निदान और हेल्थकेयर डिलीवरी में एक अनिवार्य तकनीक बन चुका है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार और उद्योग जगत के बीच अभूतपूर्व समन्वय बना है, जो “समग्र सरकार-समग्र उद्योग” मॉडल को नई दिशा देता है। डॉ. सिंह ने उदाहरण देते हुए बताया कि एआई आधारित डायग्नोस्टिक तकनीकों ने कल्चर टेस्ट के समय को दिनों से घटाकर मिनटों तक ला दिया है। इसके अलावा एआई-सक्षम टेलीमेडिसिन ने स्थानीय बोलियों में दूरस्थ गांवों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई हैं, जिससे मरीजों में विश्वास और परिणाम दोनों बेहतर हुए हैं।

डॉ. सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी और जीन थेरेपी में सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी को बड़ा कदम बताते हुए कहा कि डीबीटी की कई परियोजनाएं अग्रणी उद्योगों के साथ मिलकर एंटीबायोटिक्स, डीएनए वैक्सीन, एचपीवी वैक्सीन और बायो-मैन्युफैक्चरिंग में स्वदेशी समाधान प्रदान कर रही हैं।

उन्होंने उद्योग जगत को हाल ही में घोषित 1 लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान एवं विकास कोष का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि पहली बार सरकार निजी कंपनियों को नवाचार के लिए वित्तपोषित कर रही है।

डॉ. सिंह ने भारत के निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के वैश्विक निर्यातक के रूप में उभरने पर जोर देते हुए टीकों, बायोसिमिलर्स और किफायती मेडिकल डिवाइसेस में भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान, चिकित्सा और तकनीक अब एकीकृत इकोसिस्टम का हिस्सा हैं और भारत को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने के लिए सहयोग बढ़ाना होगा।