कैबिनेट ने ‘कोलसेतु’ विंडो को मंजूरी दी, औद्योगिक उपयोग और निर्यात हेतु खुली कोल लिंकेज नीलामी शुरू
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कोलसेतु विंडो के जरिए उद्योगों और निर्यातकों को नीलामी आधारित दीर्घकालिक कोयला लिंकेज मिलेगा, जिससे पारदर्शिता और ऊर्जा सुरक्षा में बढ़ोतरी अपेक्षित है।
नई नीति के तहत लिंकेज धारक 50% तक कोयला निर्यात कर सकेंगे, जिससे भारत वैश्विक कोल मार्केट में प्रतिस्पर्धी स्थिति हासिल कर सकता है।
वॉशरी ऑपरेटरों को लिंकेज मिलने से धुले हुए कोयले की घरेलू उपलब्धता बढ़ेगी और कोयला आयात पर निर्भरता में महत्वपूर्ण कमी आएगी।
Delhi/ केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कोयला क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार को मंजूरी दी है। सरकार ने कोयला लिंकेज की मौजूदा एनआरएस (नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर) नीलामी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए ‘कोलसेतु’ नामक नई विंडो को शामिल किया है। यह विंडो किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए नीलामी आधारित दीर्घकालिक कोल लिंकेज सुनिश्चित करेगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और उपयोग में लचीलापन बढ़ाना है, साथ ही आयात पर निर्भरता घटाना भी है।
2016 की एनआरएस नीति में कोयला आवंटन केवल सीमेंट, एल्यूमीनियम, स्पंज आयरन, स्टील और अन्य गैर-यूरिया उद्योगों तक सीमित था। लेकिन बदलते बाजार हालात और बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार ने कोलसेतु के रूप में एक सार्वभौमिक उपयोग विंडो बनाने का निर्णय लिया। इस विंडो के तहत कोई भी घरेलू खरीदार औद्योगिक गतिविधि के लिए कोयला खरीद सकता है, हालांकि कोकिंग कोल इसमें शामिल नहीं होगा। साथ ही, ट्रेडर्स को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी ताकि कोल लिंकेज का लाभ केवल वास्तविक उपभोक्ताओं को मिले।
नई नीति के अनुसार, कोल लिंकेज होल्डर्स को अपनी लिंकेज मात्रा का 50 प्रतिशत तक कोयला निर्यात करने की अनुमति होगी। यह प्रावधान भारत को वैश्विक कोल ट्रेडिंग में एक अधिक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बना सकता है। इसके अतिरिक्त, कोयले का उपयोग समूह कंपनियों के बीच लचीले ढंग से किया जा सकेगा, जिससे उद्योगों के परिचालन खर्च में कमी आएगी।
वॉशड कोल की बढ़ती मांग को देखते हुए वॉशरी ऑपरेटर्स को भी लिंकेज के दायरे में शामिल किया गया है। इससे न केवल देश में उच्च गुणवत्ता वाले धुले हुए कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि घरेलू उद्योगों की कार्यकुशलता में सुधार होगा। धुला हुआ कोयला विदेशों में भी खरीदार पा सकता है, जिससे निर्यात की संभावनाएं और बढ़ेंगी।
सरकार का कहना है कि कोलसेतु विंडो कोयला क्षेत्र में बड़े सुधारों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति ऊर्जा सुरक्षा, उद्योगों को स्थिर कोयला आपूर्ति, और देश में उपलब्ध संसाधनों के तेज़ उपयोग को बढ़ावा देगी।