ऊर्जा स्वतंत्रता भारत के लिए रणनीतिक आवश्यकता, स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण पर डॉ. जितेंद्र सिंह
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा स्वतंत्रता भारत के लिए आर्थिक मजबूती, रणनीतिक सुरक्षा और वैश्विक भूराजनीतिक अनुकूलता की अनिवार्य शर्त बन चुकी है।
स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण आत्मनिर्भर भारत, 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य और 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता विस्तार की राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से जुड़ा है।
Delhi/ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि ऊर्जा स्वतंत्रता अब केवल नीति विकल्प नहीं, बल्कि भारत के लिए एक आर्थिक, रणनीतिक और भूराजनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वच्छ और विविध ऊर्जा स्रोतों की ओर भारत का संक्रमण आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना, वैश्विक अनुकूलता और देश की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हरित और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने पर होने वाली बहसें अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं, क्योंकि आज पूरी दुनिया इस तथ्य को स्वीकार कर चुकी है कि सतत विकास, आर्थिक मजबूती और भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए ऊर्जा परिवर्तन अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “अगर भारत को आगे बढ़ना है, तो इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।”
मंत्री ने जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे न केवल राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता सुदृढ़ होगी, बल्कि भारत भविष्य के वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य के लिए भी तैयार रहेगा। उन्होंने कहा कि पारंपरिक ऊर्जा निर्यातक देश भी अब अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में तेजी से विविधता ला रहे हैं और पुराने ऊर्जा मॉडलों से चिपके रहना दीर्घकाल में नुकसानदेह साबित होगा।
भारत की वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश अब केवल वैश्विक रुझानों का अनुसरण नहीं कर रहा, बल्कि जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। अंतरिक्ष अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय नवाचार आज वैश्विक समुदाय को दिशा दिखा रहे हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य और 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के संकल्प का उल्लेख किया। मंत्री ने कहा कि ऊर्जा स्रोतों को किसी पूर्वाग्रह के बजाय उनकी विश्वसनीयता, उपयोगिता और अनुप्रयोग के आधार पर अपनाया जाना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि नवीकरणीय ऊर्जा भारत के ऊर्जा मिश्रण का अहम हिस्सा होगी, लेकिन डेटा सेंटर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उन्नत कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों को चौबीसों घंटे निर्बाध बिजली की आवश्यकता होती है, जहां परमाणु ऊर्जा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य एक हाइब्रिड ऊर्जा मॉडल में निहित है, जिसमें नवीकरणीय, परमाणु, हाइड्रोजन और अन्य उभरते ऊर्जा समाधान एक साथ कार्य करेंगे।
अपने संबोधन के अंत में मंत्री ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच अधिक सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी, साझा उद्देश्य और एकीकृत प्रयास ही भारत को ऊर्जा परिवर्तन में वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएंगे।