जुएल ओराम के नेतृत्व में जनजातीय सांसदों का संवाद, समावेशी विकास को नई गति

Fri 19-Dec-2025,05:54 PM IST +05:30

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जुएल ओराम के नेतृत्व में जनजातीय सांसदों का संवाद, समावेशी विकास को नई गति
  • जनजातीय सांसदों और मंत्रियों के संवाद में आदिवासी सशक्तिकरण, समावेशी विकास और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर सामूहिक संकल्प व्यक्त किया गया।

  • प्रधानमंत्री-जनमन, धरती आबा अभियान, एकलव्य विद्यालय और वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से पीवीटीजी व आदिवासी क्षेत्रों में बदलाव पर जोर।

  • नीति, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जमीनी समझ के समन्वय से सामाजिक न्याय, गरिमा और सतत विकास को आगे बढ़ाने की रणनीति तय।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने गुरुवार को जनजातीय सांसदों और मंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय संवाद का नेतृत्व किया। इस संवाद का उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में जनजातीय समुदायों के समग्र, समावेशी और सतत विकास को गति देना रहा। बैठक में निर्वाचित जनजातीय नेतृत्व के सामूहिक संकल्प और नीति-कार्यान्वयन के मजबूत समन्वय पर विशेष जोर दिया गया।

अपने विस्तृत वक्तव्य में श्री ओराम ने कहा कि यह संवाद आदिवासी नागरिकों के समावेशन, सशक्तिकरण और गरिमा के प्रति संसद और सरकार की साझा जिम्मेदारी को दर्शाता है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनजातीय सांसद न केवल नीतिगत वकालत में बल्कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने में भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

बैठक में प्रधानमंत्री-जनमन, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन तथा वन धन विकास योजनाओं जैसे प्रमुख कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई। आवास, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, विद्युतीकरण, आजीविका सृजन, सिकल सेल रोग उन्मूलन और सांस्कृतिक संरक्षण में हुई उपलब्धियों को रेखांकित किया गया।

इस संवाद में नीति, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जमीनी अनुभव का समन्वय दिखाई दिया। उपस्थित सांसदों और मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर जवाबदेही, बेहतर समन्वय और परिणामोन्मुखी कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह बैठक देश के आदिवासी समुदायों के लिए सामाजिक न्याय, गरिमा और समावेशी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।