क्या सही उम्र में शादी ज़रूरी? जानें हानियाँ

Sat 13-Dec-2025,12:00 AM IST +05:30

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क्या सही उम्र में शादी ज़रूरी? जानें हानियाँ
  • सही उम्र में शादी क्यों महत्वपूर्ण है? जानें इसके लाभ, कम उम्र की शादी के नुकसान, स्वास्थ्य प्रभाव, सामाजिक महत्व और भविष्य पर पड़ने वाले असर।

  • सही उम्र में विवाह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास को सुरक्षित करता है और परिवार में स्थिरता व समाज में संतुलन स्थापित करता है।

  • परिपक्व आयु में शादी करने से आर्थिक स्थिरता, जिम्मेदारी निभाने की क्षमता और स्वस्थ पारिवारिक माहौल सुनिश्चित होता है, जिससे समाज भी सशक्त बनता है।

Maharashtra / Nagpur :

एजीसीएनएन/ भारत में बालिग होने के बाद शादी करना न केवल कानूनी रूप से आवश्यक है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सही उम्र में शादी करना परिवार, समाज और व्यक्तिगत जीवन सभी के लिए संतुलित और सुरक्षित भविष्य की नींव रखता है। हालांकि आज भी कई समुदायों में कम उम्र में विवाह के मामले सामने आते हैं, जिससे स्वास्थ्य जोखिम, शिक्षा में रुकावट और सामाजिक असंतुलन जैसी गंभीर चुनौतियाँ बढ़ती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि परिपक्व आयु में किया गया विवाह जीवन की स्थिरता, मानसिक मजबूती और परिवार की समृद्धि सुनिश्चित करता है।

कानूनी दृष्टि से विवाह की उम्र
भारत में विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु-

महिलाएँ: 21 वर्ष

पुरुष: 21 वर्ष
सरकार का मानना है कि यह आयु व्यक्ति की शिक्षा, करियर और मानसिक परिपक्वता को ध्यान में रखकर तय की गई है। इसी वजह से कम उम्र में शादी को रोकने के लिए कड़ा कानून और अभियान चलाए जाते हैं।

सही उम्र में शादी के लाभ
1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य
सही उम्र में विवाह होने पर शरीर पूरी तरह विकसित और स्वस्थ होता है। महिलाओं में कम उम्र में गर्भधारण से एनीमिया, प्रीमैच्योर डिलीवरी, कमजोर बच्चा और कई जटिलताएँ हो सकती हैं। पुरुषों में भी कम उम्र की जिम्मेदारी तनाव बढ़ाती है, जो भविष्य पर असर डालती है।

2. शिक्षा और करियर में स्थिरता
परिपक्व आयु में विवाह करने से व्यक्ति अपनी शिक्षा पूरी कर सकता है, रोजगार पा सकता है और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकता है। इससे वैवाहिक जीवन में आर्थिक तनाव कम होता है।

3. रिश्तों में परिपक्वता
कम उम्र में भावनात्मक उतार-चढ़ाव अधिक होते हैं। सही उम्र में व्यक्ति समझदार, जिम्मेदार और निर्णय लेने में सक्षम होता है। इससे रिश्ते में स्थिरता बढ़ती है।

4. परिवार और बच्चों का उज्ज्वल भविष्य
जब माता-पिता पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, तो बच्चे बेहतर माहौल में बड़े होते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि परिपक्व माता-पिता के बच्चों में मानसिक और सामाजिक विकास बेहतर होता है।

कम उम्र में शादी की हानियाँ
1. स्वास्थ्य जोखिम
कम उम्र में गर्भावस्था माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। WHO के अनुसार 20 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में मातृ मृत्यु का खतरा कई गुना अधिक होता है।

2. शिक्षा का रुकना
कम उम्र में शादी होने से लड़कियों की पढ़ाई अधिकांश मामलों में रुक जाती है, जिसका असर उनके पूरे जीवन पर पड़ता है। लड़कों की शिक्षा पर भी बोझ बढ़ता है।

3. घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव
अपरिपक्व विवाहित जोड़ों में झगड़े, तनाव और घरेलू हिंसा के मामले अधिक देखे जाते हैं क्योंकि दोनों ही जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार नहीं होते।

4. आर्थिक अस्थिरता
कम शिक्षा और कम उम्र के कारण रोजगार और आर्थिक स्थिरता खतरे में पड़ जाती है, जिससे परिवार संकट में आ सकता है।

समाज के लिए विवाह की सही उम्र का महत्व
सही उम्र में विवाह होने से समाज में-

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित रहती है

स्वास्थ्य सूचकांक बेहतर होते हैं

शिक्षा का स्तर बढ़ता है

आर्थिक मजबूती आती है

सामाजिक अपराध और शोषण कम होता है

विशेषज्ञों के अनुसार युवाओं को सही उम्र में विवाह के लिए प्रेरित करना एक स्वस्थ, सशक्त और जिम्मेदार समाज की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।