UNESCO: दीपावली वैश्विक अमूर्त विरासत सूची में शामिल
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UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कमेटी का 20वां सत्र दिल्ली में सम्पन्न। दीपावली ICH सूची में शामिल। भारत ने वैश्विक सांस्कृतिक सहयोग पर ज़ोर दिया।
UNESCO ICH कमेटी के 20वें सत्र में भारत ने वैश्विक सांस्कृतिक सहयोग को मज़बूत किया और विरासत संरक्षण पर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय चर्चा को आगे बढ़ाया।
दिल्ली/ अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए UNESCO की अंतर सरकारी कमेटी का 20वां सत्र नई दिल्ली में सफलतापूर्वक सम्पन्न यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage – ICH) की सुरक्षा के लिए आयोजित अंतर सरकारी कमेटी का 20वां सत्र आज नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम ने न केवल वैश्विक विरासत संरक्षण में भारत की भूमिका को मज़बूत किया, बल्कि अपनी जीवंत परंपराओं और सभ्यतागत दृष्टिकोण को दुनिया के सामने प्रभावी रूप से प्रस्तुत भी किया।
कार्यक्रम के समापन समारोह में संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने अपने संबोधन में भारत की ओर से गहरी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से परंपराओं, सांस्कृतिक विविधताओं और सामूहिक विरासत का देश रहा है, इसलिए ICH सम्मेलन की मेज़बानी भारत के सांस्कृतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने भारत के प्राचीन सिद्धांत “संस्कृतिः रक्षणं, लोकस्य रक्षणम्” का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्कृति की रक्षा मानवता की रक्षा के समान है।
दीपावली का UNESCO ICH सूची में शामिल होना बड़ी उपलब्धि
इस वर्ष के सत्र की सबसे बड़ी खासियत रही दीपावली उत्सव का UNESCO की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होना। दीपावली को “उज्ज्वल ऊर्जा, आशा और नवीकरण का प्रतीक” बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है, और इसका शामिल होना भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर और सुदृढ़ करता है।
भारत ने सभी सदस्य देशों को बधाई दी जिनकी विरासतों को इस वर्ष सूचीबद्ध किया गया। यह विश्व बिरादरी में सांस्कृतिक विविधताओं की अहमियत और सहयोग की भावना को दर्शाता है।
वैश्विक चुनौतियों पर सार्थक चर्चा
सत्र के दौरान वैश्वीकरण, सांस्कृतिक क्षरण, भू-राजनीतिक संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। अग्रवाल ने कहा कि ICH केवल कला, नृत्य, संगीत या उत्सवों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन परंपराओं का आधार है जो समुदायों की सामाजिक संरचना को मज़बूत करती हैं। ऐसे समय में जब दुनिया तेजी से बदल रही है, ICH संरक्षण वैश्विक सांस्कृतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
बहुराष्ट्रीय नामांकन में बढ़ती रुचि
समापन भाषण में उन्होंने बताया कि कई देशों ने बहुराष्ट्रीय नामांकन में रुचि दिखाई है, क्योंकि कई सांस्कृतिक प्रथाएँ सीमाओं से परे हैं। भारत ने इस सहयोगी दृष्टिकोण का स्वागत किया और घोषणा की कि वह आगामी वर्षों में अंतरराष्ट्रीय संयुक्त नामांकन विकसित करने के लिए तैयार है।
भारत के सांस्कृतिक संस्थानों का योगदान
उन्होंने राष्ट्रीय सांस्कृतिक निकायों संगीत नाटक अकादमी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), IGNCA, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की विशेष प्रशंसा की। इन संस्थानों की समन्वित सहभागिता ने पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वैश्विक एकता का संदेश
अपने समापन संदेश में उन्होंने अथर्ववेद का मंत्र उद्धृत किया-
“समानि व: वृणुते हृदयानि”- अर्थात हमारे हृदय एकता का मार्ग चुनें।
उन्होंने कहा कि भारत आगे भी निरंतर प्रयास करेगा कि दुनिया की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित और संरक्षित रखा जाए।