मोदी कैबिनेट ने डिजिटल जनगणना 2027 को मंजूरी दी, काउंटडाउन शुरू

Fri 12-Dec-2025,10:41 PM IST +05:30

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मोदी कैबिनेट ने डिजिटल जनगणना 2027 को मंजूरी दी, काउंटडाउन शुरू
  • मोदी सरकार ने 2027 की पहली डिजिटल जनगणना को मंजूरी दी। दो चरणों में होने वाली इस प्रक्रिया में जातिगत डेटा भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुटाया जाएगा।

  • जनगणना 2027 में पहली बार जातिगत आंकड़े इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुटाए जाएंगे, हिमपात-ग्रस्त क्षेत्रों में यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में शुरू होगी।

  • सरकार 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से विश्व की सबसे बड़ी सांख्यिकीय कवायद के लिए व्यापक जागरूकता अभियान और डेटा सुरक्षा आधारित डिजिटल प्रणाली लागू करेगी।

Delhi / New Delhi :

दिल्ली/ भारत सरकार ने शुक्रवार को जनगणना 2027 कराने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए आधिकारिक रूप से दुनिया के सबसे विशाल प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभियान का काउंटडाउन शुरू कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें जनगणना से जुड़े सभी अहम प्रस्तावों पर हरी झंडी दी गई। 2027 की यह जनगणना देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जो अधिक सुरक्षित, आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत व्यवस्था के साथ की जाएगी।

सरकार ने इस महाअभियान के लिए कुल 11,718.24 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि यह जनगणना भारत की सोलहवीं श्रृंखला और स्वतंत्रता के बाद आठवीं राष्ट्रीय जनगणना होगी।

दो चरणों में होगी जनगणना

अश्विनी वैष्णव के अनुसार, जनगणना 2027 दो बड़े चरणों में पूरी की जाएगी:

1. हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना (अप्रैल–सितंबर 2026)

इस चरण में देशभर की आवासीय संरचना, सुविधाओं और संपत्तियों का विवरण डिजिटल माध्यम से दर्ज किया जाएगा।

2. जनसंख्या गणना (Population Enumeration)

फरवरी 2027 में पूरे देश में जनसंख्या गणना होगी।

लेकिन लद्दाख, जम्मू–कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हिमपात-ग्रस्त क्षेत्रों में यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में ही की जाएगी।

सरकार ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया के लिए मोबाइल ऐप, केंद्रीय मॉनिटरिंग पोर्टल और रियल-टाइम डेटा ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिससे डेटा की गुणवत्ता, गति और विश्वसनीयता बढ़ेगी।

30 लाख फील्ड वर्कर और 18,600 तकनीकी कर्मचारी

जनगणना 2027 राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़े मानव संसाधन तैनाती अभियानों में से एक होगी।

लगभग 30 लाख फील्ड कर्मी

और करीब 18,600 तकनीकी कर्मचारी
लगभग 550 दिनों तक इस कार्य में सहयोग करेंगे। यह पूरी व्यवस्था डिजिटल प्रशिक्षण, ऐप-आधारित डेटा एंट्री और GPS-आधारित लोकेशन वेरिफिकेशन से संचालित होगी।

देश की पहली डिजिटल और सुरक्षित जनगणना

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डिजिटल जनगणना का डिज़ाइन डेटा सुरक्षा और नागरिक गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
मोबाइल ऐप का बैकएंड सिस्टम एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर आधारित होगा तथा डेटा केंद्रीय सर्वर पर सुरक्षित रूप से स्टोर किया जाएगा।

राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान

मंत्रिमंडल की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जनगणना से पहले देश में बड़ा जागरूकता और जनभागीदारी अभियान चलाया जाएगा।
इसका उद्देश्य होगा-

अंतिम छोर तक पहुंच

समाज के हर वर्ग की भागीदारी

सटीक व समयबद्ध डेटा संग्रह

अफवाहों और गलत सूचनाओं को रोकना

सरकार का कहना है कि जनगणना जैसे बड़े अभियान को सफल बनाने के लिए समन्वित जनसंपर्क, भरोसेमंद सूचना और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।

जातिगत गणना भी होगी डिजिटल रूप से

30 अप्रैल को हुई कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने जातिगत गणना शामिल करने का फैसला किया था।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार-

“जनसंख्या गणना के दूसरे चरण में जाति संबंधी डेटा भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्र किया जाएगा।”

भारत की सामाजिक और जनसांख्यिकीय विविधता को देखते हुए यह निर्णय ऐतिहासिक माना जा रहा है।

जनगणना से क्या मिलेगा?

जनगणना भारत में गांव, शहर और वार्ड स्तर पर प्राथमिक आंकड़ों का सबसे बड़ा स्रोत है। इसमें शामिल होंगे-

आवास स्थिति

जल–बिजली–स्वास्थ्य सुविधाएं

संपत्ति स्वामित्व

धर्म, भाषा, शिक्षा

अनुसूचित जाति–जनजाति डेटा

प्रवासन

आर्थिक गतिविधियाँ

जन्म–मृत्यु और प्रजनन दर

नीतिगत फैसलों, सरकारी योजनाओं, बजट आवंटन और आर्थिक–सामाजिक विकास के लिए यह डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार का मानना है कि डिजिटल जनगणना राष्ट्रीय नीति-निर्माण में नई पारदर्शिता और गति लाएगी।