Bihar Saras Mela 2025 | महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण उद्यमिता का भव्य उत्सव
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ग्रामीण महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार से जोड़ने का अनोखा मंच.
हस्तशिल्प, हैंडलूम और देसी खाद्य उत्पादों की बड़ी प्रदर्शनी.
ई-मार्केटिंग और आधुनिक पैकेजिंग को बढ़ावा देने पर जोर.
Patna / गांधी मैदान शुक्रवार की शाम रोशनी, रंगों और उत्साह से भर उठा, जब बिहार सरस मेला 2025 का भव्य उद्घाटन हुआ। यह मेला सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और जमीनी स्तर की रचनात्मकता का जीवंत उत्सव है। 17 दिनों तक चलने वाला यह आयोजन 28 दिसंबर तक चलेगा, जहां बिहार के साथ-साथ पूरे देश के स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाएं अपने हुनर और मेहनत को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित कर रही हैं। जीविका और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आयोजित यह मेला समुदाय-आधारित उद्यमिता की ताकत और ग्रामीण उद्योगों की बढ़ती पहुंच का प्रतीक बन गया है।
मेले का उद्घाटन ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने किया। औपचारिक उद्घाटन के बाद वे पूरे परिसर में घूमते हुए विभिन्न स्टॉलों पर पहुंचे, जहां महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद—हैंडलूम, हथकरघा उत्पाद, मिलेट आधारित खाने की वस्तुएं, प्रोसेस्ड फूड, और विश्वप्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग्स—उनका ध्यान आकर्षित कर रही थीं। हर स्टॉल पर वे महिलाओं से उनके उत्पादन की प्रक्रिया, सामने आने वाली चुनौतियों और मार्केटिंग योजनाओं को समझते रहे। उन्होंने कहा कि सरकार ई-मार्केटिंग, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी और स्थायी बिक्री केंद्रों पर फोकस कर रही है, ताकि SHG उत्पादों को बड़े बाजार मिल सकें और उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।
सभा को संबोधित करते हुए मंत्री ने ग्रामीण बिहार की महिलाओं को राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास की रीढ़ बताया। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर मेले की शुरुआत का औपचारिक ऐलान किया। इस दौरान जीविका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने भी कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा, “सरस मेला ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने के साथ-साथ SHG महिलाओं को आधुनिक ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की समझ देता है।” उद्घाटन समारोह में जनकी जीविका महिला सिलाई उत्पादक कंपनी के लोगो का भी अनावरण किया गया, जिसके बाद पारंपरिक लोक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर माहौल को ऊर्जा से भर दिया।
बिहार सरस मेला 2025 सिर्फ व्यापार का मंच नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और नवाचार के संगम का उत्सव है। यह ग्रामीण महिलाओं के लिए एक अनोखा अवसर लेकर आया है, जहां वे न केवल अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकती हैं, बल्कि शहरी उपभोक्ताओं से सीधा संवाद स्थापित कर अपने बाजार को भी विस्तृत कर सकती हैं। यह मेला उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूत करने, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है।
कुल मिलाकर, सरस मेला 2025 इस बात का प्रमाण है कि जब ग्रामीण महिलाओं को मंच मिलता है, तो उनका हुनर, मेहनत और लगन न सिर्फ बाजार बदल देती है, बल्कि समाज की सोच को भी नई दिशा देती है।