प्रदूषण के कहर से गाजियाबाद में स्कूल ऑनलाइन-हाइब्रिड मोड में
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गाजियाबाद में AQI 400 पार होने के बाद स्कूलों में प्री-नर्सरी से कक्षा 5 तक ऑनलाइन और उच्च कक्षाओं में हाइब्रिड पढ़ाई लागू।
GRAP-4 लागू होने के बाद NCR में प्रदूषण नियंत्रण के तहत स्कूल, कोचिंग और निर्माण गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए।
इंदिरापुरम, वसुंधरा और संजय नगर जैसे इलाकों में AQI 480 के करीब पहुंचने से बच्चों की सेहत पर गंभीर खतरा बढ़ा।
गाजियाबाद/ दिल्ली-एनसीआर में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। राजधानी दिल्ली के बाद अब गाजियाबाद में भी प्रदूषण के गंभीर हालात को देखते हुए स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए गाजियाबाद जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) की ओर से यह आदेश लागू किया गया है, जिसका सभी शैक्षणिक संस्थानों को सख्ती से पालन करना होगा।
नए निर्देशों के अनुसार, प्री-नर्सरी से कक्षा 5 तक के छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन मोड में कराई जाएगी। वहीं कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11वीं तक की कक्षाएं हाइब्रिड मोड यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से संचालित होंगी। यह आदेश सभी बोर्डों माध्यमिक शिक्षा परिषद, CBSE, ICSE, संस्कृत बोर्ड, मदरसा बोर्ड सहित अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों और सभी कोचिंग संस्थानों पर समान रूप से लागू होगा।
प्रशासन का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब गाजियाबाद में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। बीते दो दिनों से जिले का AQI 400 के पार दर्ज किया जा रहा है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। रविवार, 14 दिसंबर की सुबह 7 बजे इंदिरापुरम में AQI 476, वसुंधरा में 481 और संजय नगर में 422 रिकॉर्ड किया गया। यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक मानी जा रही है।
इससे पहले, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने 14 दिसंबर को दिल्ली समेत पूरे NCR में GRAP-4 लागू कर दिया था। इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, भारी वाहनों की एंट्री पर प्रतिबंध और स्कूलों में हाइब्रिड या ऑनलाइन कक्षाएं चलाने जैसे सख्त कदम शामिल हैं। दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने भी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों को कक्षा 1 से 9 और कक्षा 11 तक हाइब्रिड मोड में पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में हवा की गति कम होने और तापमान गिरने के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं। इससे बच्चों में सांस की समस्या, आंखों में जलन, सिरदर्द और थकान जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। प्रशासन ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे बच्चों को अनावश्यक रूप से बाहर न भेजें और मास्क के उपयोग को प्राथमिकता दें।
कुल मिलाकर, गाजियाबाद प्रशासन का यह फैसला बच्चों की सेहत की सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। हालांकि, जब तक प्रदूषण का स्तर नियंत्रित नहीं होता, तब तक ऐसे एहतियाती उपाय आगे भी जारी रह सकते हैं।