H-1B वीजा संकट: सोशल मीडिया जांच से देरी, हजारों भारतीय फंसे
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H-1B वीजा के लिए सोशल मीडिया जांच अनिवार्य होने से इंटरव्यू प्रक्रिया धीमी, हजारों भारतीय पेशेवर भारत में फंसे।
अपॉइंटमेंट रद्द और देरी से आईटी कर्मचारियों की नौकरी पर संकट, अमेरिकी कंपनियों के प्रोजेक्ट्स प्रभावित।
ट्रंप प्रशासन के नए नियमों से वीजा प्रक्रिया में अनिश्चितता बढ़ी, भारतीय समुदाय में चिंता गहरी।
दिल्ली/ अमेरिका में H-1B वीजा धारकों के लिए मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। ट्रंप प्रशासन के नए नियमों के तहत वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया जांच अनिवार्य कर दी गई है। इस फैसले का सीधा असर हजारों भारतीय पेशेवरों पर पड़ा है, जो छुट्टियों या पारिवारिक कारणों से भारत आए थे और अब अमेरिका लौटने में असमर्थ हैं।
सूत्रों के अनुसार, नए दिशा-निर्देश लागू होने के बाद अमेरिकी दूतावासों में H-1B वीजा इंटरव्यू की प्रक्रिया धीमी हो गई है। कई मामलों में पहले से तय अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए गए हैं या अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए हैं। सोशल मीडिया प्रोफाइल की गहन जांच के कारण वीजा स्वीकृति में देरी हो रही है, जिससे कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय आईटी पेशेवर हैं, जो अमेरिकी कंपनियों में तकनीकी भूमिकाओं में कार्यरत हैं। कई कर्मचारियों ने बताया कि लंबी देरी के चलते उन्हें अपनी कंपनियों को बार-बार स्थिति समझानी पड़ रही है। कुछ मामलों में नियोक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि तय समय पर कर्मचारी अमेरिका वापस नहीं लौटे, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
वीजा विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया स्क्रीनिंग का दायरा स्पष्ट न होने से आवेदकों में डर और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई लोग अपने पुराने पोस्ट, लाइक्स और कमेंट्स को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि आवेदक अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को सटीक और पेशेवर रखें।
कौन-सी बातें वीज़ा प्रक्रिया में परेशानी बन सकती हैं?
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अमेरिका विरोधी विचारों से जुड़े पोस्ट, कमेंट या कंटेंट
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किसी प्रतिबंधित संगठन के समर्थन या सहानुभूति के संकेत
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संवेदनशील या रणनीतिक तकनीक तक अनुचित पहुंच की कोशिश से जुड़े संकेत
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राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी या भड़काऊ बयान
इस बीच, भारतीय समुदाय संगठनों ने अमेरिकी प्रशासन से प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि अचानक नियम बदलने से न केवल पेशेवरों की आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि कंपनियों के प्रोजेक्ट्स और अमेरिका-भारत तकनीकी सहयोग पर भी असर पड़ रहा है।