अर्शदीप सिंह ने केवल 13 रन देकर 2 महत्वपूर्ण विकेट लिए, जबकि कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती ने 2-2 विकेट अपने नाम किए। इसके अलावा हर्षित राणा, हार्दिक पांड्या और शिवम दुबे को भी एक-एक सफलता मिली। भारतीय गेंदबाजों की यह कार्यवाही विपक्षी टीम को मानसिक दबाव में डालने में बेहद प्रभावशाली रही।
भारत के बल्लेबाजों ने लक्ष्य का पीछा भी बेहद स्मार्ट तरीके से किया। शुरुआती विकेट जल्दी गिरने के बावजूद टीम ने संयम और धैर्य का परिचय दिया। कप्तान और अनुभवी बल्लेबाजों ने छोटी-छोटी साझेदारियों को मजबूत बनाकर लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया। इस दौरान युवा खिलाड़ियों ने भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया, जिससे टीम के बीच सामंजस्य और आत्मविश्वास बढ़ा।
टीम के फील्डिंग विभाग ने भी पूरी मैच में कड़ा दबाव बनाया। रन आउट और शानदार कैच के जरिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को लगातार चौंकाया। इससे विपक्षी टीम की रणनीति पूरी तरह प्रभावित हुई और वे अपने निर्धारित स्कोर तक भी नहीं पहुंच पाए।
इस जीत से भारतीय टीम को न केवल सीरीज में बढ़त मिली है, बल्कि आगामी मैचों के लिए आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती भी प्राप्त हुई। टीम प्रबंधन और कोचिंग स्टाफ के द्वारा चुनी गई रणनीतियाँ सफल साबित हुईं। गेंदबाजी आक्रमण और बल्लेबाजी क्रम दोनों ने ही एकजुट प्रदर्शन किया।
विशेष रूप से युवा गेंदबाजों का प्रदर्शन प्रशंसा योग्य रहा। अर्शदीप, कुलदीप और वरुण ने विपक्षी बल्लेबाजों की गति और रन बनाने की कोशिशों को कुशलता से रोका। इससे यह स्पष्ट हुआ कि टीम में अनुभवी और युवा खिलाड़ियों का संतुलन कितनी अहम भूमिका निभाता है।
हार्दिक पांड्या और शिवम दुबे ने मध्यक्रम में खेल को संभाला और टीम को लक्ष्य तक पहुंचाया। इन खिलाड़ियों के संयमित खेल ने टीम को दबाव के समय संभाला और मैच को आसान बनाने में मदद की।
धर्मशाला का यह मुकाबला भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांचक और उत्साहवर्धक रहा। टीम ने सामूहिक प्रयास और रणनीतिक सोच का बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस जीत से भारत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में न केवल बढ़त बना चुका है, बल्कि आगामी मैचों में अपनी बढ़त और जीत की संभावनाओं को और मजबूत करने की दिशा में भी अग्रसर है।
इस प्रकार, तीसरे टी20I में भारत की गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग का सामूहिक प्रदर्शन टीम की ताकत और रणनीति का जीता-जागता उदाहरण साबित हुआ।