भारत-न्यूजीलैंड ने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता किया संपन्न, PM MODI-लक्सन की घोषणा

Mon 22-Dec-2025,01:39 PM IST +05:30

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भारत-न्यूजीलैंड ने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता किया संपन्न, PM MODI-लक्सन की घोषणा
  • भारत-न्यूजीलैंड FTA नौ महीनों में संपन्न होकर दोनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और गहराते आर्थिक संबंधों का मजबूत संकेत देता है।

  • समझौते से व्यापार दोगुना करने, निवेश बढ़ाने और एमएसएमई, किसानों व युवाओं के लिए नए अवसर सृजित होंगे।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री श्री क्रिस्टोफर लक्सन से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल और औपचारिक समापन की संयुक्त घोषणा की। इसे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला एक ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी समझौता बताया गया।

प्रधानमंत्री लक्सन की मार्च 2025 में भारत यात्रा के दौरान एफटीए वार्ताओं की शुरुआत हुई थी। रिकॉर्ड नौ महीनों के भीतर समझौते का पूरा होना भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते आपसी विश्वास, साझा दृष्टिकोण और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने सहमति जताई कि यह समझौता द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को व्यापक रूप से सुदृढ़ करेगा।

एफटीए के तहत बाजार पहुंच का विस्तार होगा, निवेश प्रवाह को प्रोत्साहन मिलेगा और व्यापार से जुड़े नियमों को अधिक सरल एवं पारदर्शी बनाया जाएगा। इससे दोनों देशों के नवप्रवर्तकों, उद्यमियों, किसानों, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), छात्रों और युवाओं के लिए नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही, रणनीतिक सहयोग को भी नई गति मिलेगी।

इस मजबूत आधार पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया। इसके अतिरिक्त, न्यूजीलैंड की ओर से अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की संभावनाओं पर भी विश्वास व्यक्त किया गया।

बातचीत के दौरान खेल, शिक्षा और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में अब तक हुई प्रगति का स्वागत किया गया। दोनों नेताओं ने भारत-न्यूजीलैंड साझेदारी को और गहरा करने तथा नियमित संपर्क बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। यह एफटीए न केवल आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी को भी नई दिशा देगा।