Dhaka Division / : Dhaka / बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं और हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं। कुछ दिन पहले ढाका-8 से सांसद पद के उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी पर हमलावरों ने हमला किया था, जिसमें उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर चिकित्सा के लिए 15 दिसंबर को सिंगापुर रेफर किया गया था, लेकिन 18 दिसंबर की रात को उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और हिंसा का माहौल फैल गया।
शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद अब खुलना में एक और छात्र नेता पर जानलेवा हमला हुआ है। नेशनल सिटिजन्स पार्टी (NCP) के केंद्रीय श्रमिक संगठन के नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। यह हमला सोमवार सुबह करीब 11:45 बजे शहर के गाजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास हुआ। बदमाशों ने सीधे उनके सिर को निशाना बनाया, लेकिन गोली कान के पास से निकलने के कारण वह बाल-बाल बच गए।
घायल अवस्था में मोतालेब सिकदर को तत्काल खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनका इलाज कर रही है। पुलिस के अनुसार, अब वह खतरे से बाहर हैं और स्थिति स्थिर है। सोनडांगा मॉडल पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अनिमेष मंडल ने बताया कि हमला अचानक और योजनाबद्ध तरीके से किया गया था, जिससे मोतालेब गंभीर रूप से घायल हो गए।
एनसीपी के खुलना महानगर पालिका के आयोजक सैफ नवाज ने बताया कि मोतालेब सिकदर एनसीपी के श्रमिक संगठन “जातीय श्रमिक शक्ति” के केंद्रीय आयोजक और खुलना मंडल संयोजक थे। पार्टी कुछ दिनों में खुलना में एक संभागीय श्रमिक रैली आयोजित करने वाली थी और मोतालेब सिकदर उसी की तैयारियों में जुटे हुए थे। इस हमले से यह साफ हो गया कि राजनीतिक विरोधियों या अराजक तत्वों ने सीधे पार्टी के सक्रिय नेताओं को निशाना बनाने का प्रयास किया।
इन घटनाओं ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक दलों और आम जनता में तनाव का माहौल गहराता जा रहा है। सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में भी इन घटनाओं को लेकर लगातार खबरें और प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक हिंसा की यह श्रृंखला राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का प्रतीक है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बांग्लादेश में राजनीतिक संघर्ष अब सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें जानलेवा हमले और हिंसक घटनाओं का भी शामिल होना चिंता का बड़ा विषय बन गया है। राजनीतिक दलों, प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे सक्रिय रूप से नेताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।