काशी तमिल संगमम 4.0: तमिल पेशेवरों ने हनुमान घाट व भारती विरासत से सांस्कृतिक संगम देखा

Sat 13-Dec-2025,11:55 AM IST +05:30

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काशी तमिल संगमम 4.0: तमिल पेशेवरों ने हनुमान घाट व भारती विरासत से सांस्कृतिक संगम देखा
  • काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत तमिल पेशेवरों ने हनुमान घाट पर गंगा स्नान कर आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक जुड़ाव का अनुभव किया।

  • प्रतिनिधिमंडल ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती के निवास का दौरा कर उनके साहित्यिक और राष्ट्रीय योगदान को नजदीक से जाना।

  • काशी में बसे दक्षिण भारतीय परिवार उत्तर-दक्षिण संस्कृति के जीवंत संगम को पीढ़ियों से संरक्षित कर रहे हैं।

Uttar Pradesh / Varanasi :

Kashi/ काशी तमिल संगमम 4.0 के अंतर्गत तमिलनाडु के पेशेवरों और कारीगरों से युक्त प्रतिनिधिमंडल का पांचवां बैच आज काशी के ऐतिहासिक हनुमान घाट पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने मां गंगा में स्नान कर समृद्धि, शांति और खुशहाली के लिए प्रार्थना की। इसके पश्चात घाट परिसर में स्थित प्राचीन मंदिरों में दर्शन किए और उनके ऐतिहासिक व स्थापत्य महत्व की जानकारी प्राप्त की।

प्रतिनिधिमंडल ने हनुमान घाट स्थित महाकवि सुब्रमण्यम भारती के निवास स्थान का भी दौरा किया। यहां उन्होंने भारती के जीवन, विचारों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के बारे में विस्तार से जाना। प्रतिनिधियों ने निवास से जुड़े लोगों से संवाद किया और भारती की काशी प्रवास से जुड़ी स्मृतियों में विशेष रुचि दिखाई। इसके साथ ही पास के पुस्तकालय का भ्रमण कर वहां के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व पर संक्षिप्त जानकारी प्राप्त की।

महाकवि सुब्रमण्यम भारती को तमिल साहित्य के “राष्ट्र कवि” के रूप में सम्मानित किया जाता है। काशी प्रवास के दौरान उन्होंने संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी का अध्ययन किया, जिससे उनके साहित्य और विचारों में बहुभाषी और राष्ट्रीय चेतना का समावेश हुआ। प्रतिनिधिमंडल ने उनके निवास स्थान को प्रेरणास्रोत बताते हुए इसे तमिल-काशी संबंधों का सशक्त प्रतीक बताया।

इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने कांची मठ का दौरा किया, जहां मठ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और आध्यात्मिक परंपराओं के बारे में जानकारी दी गई। काशी के मध्य स्थित दक्षिण भारतीय मंदिर में दर्शन कर प्रतिनिधियों ने प्रसन्नता व्यक्त की और इसे काशी में दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक उपस्थिति का जीवंत उदाहरण बताया।

प्रतिनिधिमंडल का मार्गदर्शन कर रहे वी. चंद्रशेखर द्रविड़ घनपति ने बताया कि केदार घाट और हनुमान घाट के आसपास पीढ़ियों से दक्षिण भारतीय परिवार निवास करते आ रहे हैं। कई परिवार पांच से दस पीढ़ियों से काशी में रहते हुए स्थानीय परंपराओं के साथ अपनी सांस्कृतिक पहचान को भी सहेज रहे हैं। यह काशी में उत्तर और दक्षिण भारतीय संस्कृति के अनूठे संगम को दर्शाता है।

प्रतिनिधिमंडल काशी में निर्धारित अन्य कार्यक्रमों में भाग लेगा तथा नमो घाट का दौरा भी इसके यात्रा कार्यक्रम में शामिल है।