प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत पहुंचे, 43 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत यात्रा
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PM Modi's Historic Visit to Kuwait Highlights Strong Bilateral Ties
बीते 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा है।
कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं। ये समुदाय स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
पीएम मोदी की सरकार ने पश्चिम एशिया में भारत के संबंधों को नई ऊंचाई दी है। उन्होंने 13 बार अरब देशों का दौरा किया है, जिसमें यूएई, कतर, सऊदी अरब और बहरीन शामिल हैं।
Kuwait, 21 December 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कुवैत की ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे। यह बीते 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा है। प्रधानमंत्री कुवैत के शेख मेशाल अल अहमद अल जबार अल सबाह के आमंत्रण पर इस दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं।
एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने कुवैत के युवराज और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की उत्सुकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत और कुवैत के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, जो दशकों से व्यापार, ऊर्जा और सांस्कृतिक साझेदारी को सुदृढ़ करते आए हैं।
भारतीय समुदाय का बड़ा योगदान
कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं। ये समुदाय स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पीएम मोदी ने एक श्रमिक कैंप में भारतीय कामगारों से मिलने का कार्यक्रम भी तय किया है, जो भारत-कुवैत के रिश्तों को और मजबूत करने का संकेत है।
पश्चिम एशिया पर विशेष ध्यान
पीएम मोदी की सरकार ने पश्चिम एशिया में भारत के संबंधों को नई ऊंचाई दी है। उन्होंने 13 बार अरब देशों का दौरा किया है, जिसमें यूएई, कतर, सऊदी अरब और बहरीन शामिल हैं। कुवैत दौरे को भी इसी नीति के तहत देखा जा रहा है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल है।
कूटनीतिक और ऐतिहासिक संबंध
भारत ने 1961 में कुवैत की आजादी को मान्यता दी थी। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग में लंबे समय से भागीदारी रही है। कुवैत, भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है और भारत, कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
प्रधानमंत्री की यात्रा का उद्देश्य केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में साझा योगदान देना भी है। यह यात्रा भारत और खाड़ी देशों के बीच भविष्य की साझेदारी का खाका तैयार करने में सहायक सिद्ध होगी।