पीयूष गोयल ने गिनाईं ऊर्जा क्षेत्र की 11 साल की उपलब्धियां, आत्मनिर्भर भारत को मिली नई शक्ति
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भारत के ऊर्जा क्षेत्र में 11 वर्षों में कोयला, सौर, पवन और गैस क्षेत्र में रिकॉर्ड वृद्धि से आत्मनिर्भरता को मजबूती मिली।
उज्ज्वला, सौभाग्य और पीएम-कुसुम जैसी योजनाओं ने ऊर्जा को जन-आधारित बनाकर सामाजिक और आर्थिक बदलाव को गति दी।
नई दिल्ली/ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में एक ब्रीफिंग के दौरान कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र की पिछले 11 वर्षों की यात्रा इस बात का सशक्त प्रमाण है कि स्पष्ट दृष्टि, ईमानदार इरादे और निरंतर कार्य निष्पादन किसी भी राष्ट्र की नियति बदल सकते हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल की 75वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्होंने उन्हें नमन करते हुए कहा कि लौह पुरुष केवल राजनीतिक एकीकरण के शिल्पकार ही नहीं थे, बल्कि वे आर्थिक और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के भी प्रबल समर्थक थे।
श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की वही भावना आज साकार होती दिख रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 1,048 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर अब तक का सर्वोच्च स्तर हासिल किया, जबकि कोयला आयात में लगभग 8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 46 गुना बढ़ी है, जिससे भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है। पवन ऊर्जा क्षमता भी 2014 के 21 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट तक पहुंच चुकी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब विश्व का चौथा सबसे बड़ा शोधन केंद्र बन चुका है और अपनी शोधन क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके साथ ही 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को मंजूरी दी गई, जिनमें से 25,923 किलोमीटर पहले ही चालू हो चुकी हैं। उन्होंने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने वाले विधेयक का भी उल्लेख किया।
श्री गोयल ने कहा कि देश का ऊर्जा परिवर्तन पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ सार्वभौमिक पहुंच है, जिसके तहत सौभाग्य योजना से हर घर तक बिजली पहुंचाई गई और उजाला कार्यक्रम के अंतर्गत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए। इससे न केवल बिजली बिल घटे, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई। उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ परिवारों को स्वच्छ ईंधन मिला, जबकि पीएम-कुसुम योजना से किसान ऊर्जा उत्पादक बने।
दूसरा स्तंभ सामर्थ्य का है, जिसके तहत सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया। 2030 के लिए निर्धारित 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त कर लिया गया। तीसरा स्तंभ उपलब्धता है—2013 में 4.2 प्रतिशत रही बिजली की कमी 2025 में घटकर मात्र 0.1 प्रतिशत रह गई है। एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के माध्यम से भारत 250 गीगावाट की रिकॉर्ड चरम मांग को पूरा करने में सक्षम हुआ है।
चौथा स्तंभ वित्तीय व्यवहार्यता है। पीएम-उदय योजना के सुधारों से बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति सुदृढ़ हुई और डिस्कॉम का बकाया 1.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर 6,500 करोड़ रुपये रह गया। पांचवां स्तंभ स्थिरता और वैश्विक उत्तरदायित्व है। भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने वाला पहला जी20 देश बना है और देश की 50 प्रतिशत स्थापित बिजली क्षमता अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आती है।
भविष्य की ओर देखते हुए श्री गोयल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन हाइड्रोजन उत्पादन और 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आयात में कमी लाना है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत 20 लाख घरों में रूफटॉप सोलर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ते हुए भारत का ऊर्जा क्षेत्र वैश्विक स्तर पर एक आदर्श मॉडल बनेगा।