राष्ट्रपति ने फखरूद्दीन अली अहमद की जयंती पर उन्‍हें पुष्‍पांजलि अर्पित की

Tue 13-May-2025,03:43 PM IST +05:30

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राष्ट्रपति ने फखरूद्दीन अली अहमद की जयंती पर उन्‍हें पुष्‍पांजलि अर्पित की
  • राष्‍ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मु ने देश के पूर्व राष्‍ट्रपति श्री फखरूद्दीन अली अहमद को उनकी जयंती पर आज राष्‍ट्रपति भवन में पुष्पांजलि अर्पित की।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज देश के पूर्व राष्ट्रपति श्री फखरूद्दीन अली अहमद की जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रपति भवन स्थित श्री अहमद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें नमन किया।

फखरूद्दीन अली अहमद, भारत के पांचवें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 1974 से 1977 तक इस पद को सुशोभित किया। वे देश के उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक विकास में अहम योगदान दिया।

इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में राष्ट्रपति भवन के वरिष्ठ अधिकारियों, विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों और श्री अहमद के परिवार के सदस्यों की उपस्थिति भी रही। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि श्री फखरूद्दीन अली अहमद का जीवन सादगी, सेवा और समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया बल्कि स्वतंत्र भारत में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में यह भी कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में श्री अहमद की भूमिका को हमेशा स्मरण किया जाएगा। उनका कार्यकाल उस समय में आया जब देश आपातकाल जैसे कठिन दौर से गुजर रहा था, और उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने में योगदान दिया।

फखरूद्दीन अली अहमद असम राज्य से थे और वह एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता एवं राजनेता थे। उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भी विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे और उनकी छवि एक सहज, सौम्य और न्यायप्रिय नेता की रही।

आज उनकी जयंती पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित यह कार्यक्रम राष्ट्र की ओर से उन्हें याद करने और उनके योगदान को सम्मानित करने का प्रतीक है। यह पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि लोकतंत्र, सहिष्णुता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी नेताओं की भूमिका को हमेशा याद रखा जाना चाहिए।