विदेश पढ़ाई में नया ट्रेंड: जर्मनी, यूएई और न्यूजीलैंड बने भारतीय छात्रों की पहली पसंद

Mon 22-Dec-2025,06:23 PM IST +05:30

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विदेश पढ़ाई में नया ट्रेंड: जर्मनी, यूएई और न्यूजीलैंड बने भारतीय छात्रों की पहली पसंद
  • किफायती शिक्षा, पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा और वैश्विक करियर अवसर भारतीय छात्रों को विदेश पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं।

  • जर्मनी, न्यूजीलैंड और UAE जैसे देश भारतीय छात्रों की नई पसंद बनकर उभरे, जहां रुचि में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि दर्ज हुई।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ दुनियाभर में हर साल लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए अपने देश से बाहर का रुख करते हैं और इस वैश्विक प्रवृत्ति में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 18 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। यह संख्या कई छोटे देशों की कुल आबादी से भी अधिक है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी लंबे समय से भारतीय छात्रों की पहली पसंद रहे हैं, लेकिन अब नए गंतव्य तेजी से उभर रहे हैं।

अधिकांश भारतीय छात्र मास्टर्स डिग्री के लिए विदेश जाते हैं। कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और मेडिसिन जैसे कोर्स सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। हाल ही में एजुकेशन कंसल्टिंग प्लेटफॉर्म लीप स्कॉलर ने 30 लाख छात्रों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें विदेश पढ़ाई की बढ़ती रुचि और बदलते ट्रेंड्स का विश्लेषण किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में पढ़ाई करने के पीछे दो सबसे बड़े कारण हैं-किफायती शिक्षा और पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा की सुविधा। कई देशों में तुलनात्मक रूप से कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है, वहीं डिग्री पूरी होने के बाद छात्रों को नौकरी के लिए वर्क वीजा भी मिल जाता है। इसके अलावा, शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग और उन्नत रिसर्च इकोसिस्टम ने भी छात्रों को विदेश जाने के लिए प्रेरित किया है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2024-25 के लिए जर्मनी में भारतीय छात्रों की रुचि में साल-दर-साल 377% की बढ़ोतरी हुई है। न्यूजीलैंड के प्रति रुचि में रिकॉर्ड 2900% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पढ़ाई के लिए दिलचस्पी 5400% तक पहुंच गई है। जर्मनी का 18 महीने का पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा, UAE में कम शिक्षा खर्च और भौगोलिक नजदीकी, तथा न्यूजीलैंड की अनुकूल इमिग्रेशन नीतियां-जहां छात्र तीन साल तक रहकर काम कर सकते हैं-इन देशों को भारतीय छात्रों के लिए आकर्षक बना रही हैं।

कुल मिलाकर, भारतीय छात्रों के विदेश अध्ययन के विकल्प अब सीमित देशों तक नहीं रहे, बल्कि वे नई संभावनाओं और बेहतर करियर अवसरों की तलाश में उभरते शिक्षा गंतव्यों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।