छत्तीसगढ़ की योगिता मंडावी को जूडो में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

Fri 26-Dec-2025,06:05 PM IST +05:30

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छत्तीसगढ़ की योगिता मंडावी को जूडो में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार छत्तीसगढ़-की-जूडो-खिलाड़ी-योगिता-मंडावी-को-खेल-में-उत्कृष्ट-प्रदर्शन-के-लिए-प्रधानमंत्री-राष्ट्रीय-बाल-पुरस्कार-2025-से-सम्मानित-किया-गया।
  • बालिका गृह कोंडागांव की योगिता मंडावी ने जूडो में राष्ट्रीय पहचान बनाकर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 हासिल किया।

  • योगिता मंडावी की सफलता छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक मिसाल बन गई है।

Chhattisgarh / Kondagaon :

Kondagaon/ छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के अधीन संचालित बालिका गृह, कोंडागांव की निवासी कुमारी योगिता मंडावी ने खेल जगत में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर राज्य और जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। जूडो में असाधारण प्रदर्शन के लिए उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें 26 दिसंबर 2025 को प्रदान किया गया।

योगिता की सफलता की कहानी संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास से भरी है। बहुत कम उम्र में माता-पिता को खो देने के बाद उनका जीवन आसान नहीं था। बालिका गृह में रहते हुए उन्होंने कठिन परिस्थितियों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। खेल के प्रति गहरी रुचि और निरंतर अभ्यास के बल पर उन्होंने जूडो को अपना लक्ष्य बनाया और उसी दिशा में आगे बढ़ती रहीं।

आज योगिता मंडावी खेलो इंडिया की राष्ट्रीय स्तर की जूडो खिलाड़ी हैं। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए कई पदक अपने नाम किए हैं। उनकी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें देश की उभरती हुई जूडो खिलाड़ियों की सूची में शामिल कर दिया है।

प्रमुख उपलब्धियों में अस्मिता खेलो इंडिया महिला जूडो लीग 2025 में सब-जूनियर 44 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक, राज्य स्तरीय स्कूल गेम्स 2024-25 में अंडर-19 गर्ल्स वर्ग में प्रथम स्थान और एसजीएफआई नेशनल व खेलो इंडिया लीग में उल्लेखनीय प्रदर्शन शामिल हैं।

सीमित संसाधनों के बावजूद योगिता का आत्मविश्वास और समर्पण आज कई बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुका है। उनका चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए होना यह साबित करता है कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती।

योगिता मंडावी की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और सफलता की कहानी है, बल्कि यह कोंडागांव जिले और पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। उनका सफर आने वाली पीढ़ियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा देता रहेगा।