शो-कारण नोटिस के बाद DGCA ने इंडिगो को जवाब देने के लिए दिया समय विस्तार
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DGCA ने इंडिगो CEO को भेजा कारण बताओ नोटिस; कंपनी ने 8 दिसंबर शाम तक विस्तारित समय की मांग की।
इंडिगो के संकट के छठे दिन भी Pune Airport सहित कई हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द, यात्रियों की समस्याएं बढ़ीं।
DGCA चेतावनी दे चुकी है, समय पर जवाब न मिलने पर लाइसेंस, उड़ान आवंटन और जुर्माने सहित सख्त कार्रवाई होगी।
दिल्ली/ देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन IndiGo के परिचालन संकट ने फिजूल की यात्राओं और रद्द उड़ानों के कारण पिछले छह दिनों में यात्रियों को भारी मुश्किलों में डाल दिया है। कई प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों की रद्दीकरण की जानकारी के बीच, DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने एयरलाइन के सीईओ Pieter Elbers को ‘शोकॉज नोटिस’ (कारण बताओ नोटिस) जारी कर 24 घंटे में विस्तृत लिखित जवाब मांगा था।
नोटिस में DGCA ने पूछा था कि इंडिगो नेटवर्क में हुई इतनी बड़ी रद्दीकरण और देरी के लिए एयरलाइन क्या जवाब देगी; साथ ही यात्रियों की असुविधा, सामान की हानि और परिचालन विफलता पर मुआवज़ा और सुधारात्मक कदमों की मांग की गई थी।
हालाँकि इंडिगो ने जवाब देने में देरी के लिए अनुरोध किया है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि, “उड़ान नेटवर्क की विशालता, विभिन्न हवाई अड्डों पर फैली ऑपरेशनल चुनौतियों और रद्दीकरण के पैमाने को देखते हुए हमें विस्तृत जांच व आंकड़ों के आधार पर प्रतिक्रिया देने के लिए अधिक समय चाहिए।” कंपनी ने कहा है कि 8 दिसंबर 2025 शाम 4 बजे तक या DGCA द्वारा उचित समझे गए किसी दिन तक जवाब देने की अनुमति दी जाए।
वर्तमान में संकट का छठा दिन चल रहा है और एयरलाइनों की देरी व रद्दीकरण की खबरें लगातार आ रही हैं। उदाहरण के लिए, Pune Airport ने बताया कि ऑपरेशनल व्यवधानों की वजह से इंडिगो की कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। यात्रियों की शिकायतों के बीच, कुछ ने लंबी प्रतीक्षा, अचानक रद्दीकरण, सामान खोने तथा रिफंड की देरी का जिक्र किया है।
DGCA सूत्रों का कहना है कि यदि इंडिगो अपनी विस्तारित समय सीमा में पर्याप्त और विश्वसनीय जवाब नहीं देती है, तो संस्था “सख्त नियमों” के तहत कार्रवाई करेगी, जिसमें जुर्माना, लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन पर पायलट या क्रू रोटेशन रिव्यू, और नए उड़ान असाइनमेंट की पाबंदी शामिल हो सकती है।
वर्तमान में इंडिगो यात्रियों को रियायत देने, रिफंड प्रक्रिया सुचारू करने और उस टकराव से पल्ला झाड़ने की कोशिशों में है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि असली चुनौती इस संकट के कारण उत्पन्न भरोसे को बहाल करने की होगी, खासकर उन यात्रियों में, जिन्हें अचानक उड़ान रद्दीकरण या देरी का सामना करना पड़ा।