राष्ट्रपति मुर्मु ने IDAS अधिकारियों को रक्षा वित्त, पारदर्शिता और आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया
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बदलते भू-राजनीतिक और तकनीकी परिवेश में नवाचार, आधुनिकीकरण और त्वरित निर्णय क्षमता को आवश्यक बताया गया।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त करने पर विशेष जोर।
New Delhi/ भारतीय रक्षा लेखा सेवा (IDAS) के वर्ष 2024 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने 24 दिसंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से शिष्टाचार मुलाकात की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए रक्षा लेखा सेवा की राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधनों के कुशल प्रबंधन में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। बजट निर्माण, लेखांकन, लेखापरीक्षा, भुगतान, वित्तीय परामर्श और रक्षा व्यय में पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसे दायित्वों का सीधा संबंध देश की परिचालन तत्परता और रक्षा अवसंरचना के विकास से है।
उन्होंने अधिकारियों को यह भी सलाह दी कि प्रधान लेखा एवं वित्तीय प्राधिकारी के रूप में उन्हें सशस्त्र बलों की विशिष्ट चुनौतियों, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और वास्तविक परिचालन आवश्यकताओं की गहरी समझ विकसित करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के समय में त्वरित, सटीक और तकनीक-संचालित निर्णय अत्यंत आवश्यक हो गए हैं।
इस संदर्भ में उन्होंने रक्षा लेखा विभाग से निरंतर नवाचार, आधुनिकीकरण और प्रक्रियागत सुधार अपनाने का आह्वान किया। साथ ही, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत स्वदेशी उत्पादन, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करने में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने आईडीएएस अधिकारियों से आजीवन सीखने, जिज्ञासु बने रहने और आत्मविश्वास के साथ बदलाव को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सेवा का वास्तविक मूल्य पद या प्रतिष्ठा में नहीं, बल्कि संस्थानों के प्रभावी संचालन और नागरिकों के दीर्घकालिक कल्याण में निहित होता है।