भारतीय तटरक्षक बल में शामिल हुआ पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’
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‘समुद्र प्रताप’ 60% से अधिक स्वदेशी घटकों के साथ भारतीय तटरक्षक बल का पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत है।
यह पोत अत्याधुनिक प्रदूषण पहचान, तेल रिसाव नियंत्रण और समुद्री आपदा प्रतिक्रिया अभियानों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।
GOA/ भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 23 दिसंबर 2025 को अपने बेड़े में पहले स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’ को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया। यह पोत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा 2 पीसीवी परियोजना के अंतर्गत निर्मित किया गया है और इसमें 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी घटकों का उपयोग किया गया है। इसका शामिल होना सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नई मजबूती प्रदान करता है।
‘समुद्र प्रताप’ भारतीय तटरक्षक बल का अब तक का सबसे बड़ा पोत है। इसकी लंबाई 114.5 मीटर, चौड़ाई 16.5 मीटर और विस्थापन क्षमता 4,170 टन है। यह अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और तकनीक से लैस है, जिसमें 30 मिमी तोप, रिमोट कंट्रोल गन, एकीकृत ब्रिज सिस्टम, प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम और उच्च क्षमता वाली अग्निशमन प्रणाली शामिल हैं।
यह पोत डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम (DP-1) से युक्त है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के FIFI-2/FFV-2 प्रमाणन प्राप्त हैं। समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए इसमें ऑयल फिंगरप्रिंटिंग मशीन, केमिकल डिटेक्टर और आधुनिक लैब सुविधाएं मौजूद हैं। यह पोत भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर और बाहर तेल रिसाव जैसी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम है।
इस अवसर पर आईसीजी और जीएसएल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। ‘समुद्र प्रताप’ न केवल समुद्री पर्यावरण सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भारत की स्वदेशी समुद्री निर्माण क्षमता का भी प्रतीक बनेगा।