पूर्वोत्तर कृषि-बागवानी को मजबूत करने पर सहमति, मूल्य श्रृंखला सुधार हेतु उच्चस्तरीय बैठक

Wed 24-Dec-2025,06:07 PM IST +05:30

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पूर्वोत्तर कृषि-बागवानी को मजबूत करने पर सहमति, मूल्य श्रृंखला सुधार हेतु उच्चस्तरीय बैठक
  • पूर्वोत्तर में कृषि-बागवानी मूल्य श्रृंखला सुधार पर जोर, पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान कम कर किसानों की आय बढ़ाने की रणनीति पर सहमति।

  • निर्यात-तैयारी अवसंरचना, बेहतर लॉजिस्टिक्स और निवेश तंत्र से पूर्वोत्तर कृषि इकोसिस्टम को मिलेगी नई मजबूती।

Delhi / New Delhi :

New Delhi/ केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नई दिल्ली में आयोजित कृषि एवं बागवानी की उच्च स्तरीय कार्य बल (HLTF) की बैठक में भाग लिया। इस बैठक की अध्यक्षता सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग ने की। बैठक में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रो. (डॉ.) माणिक साहा, असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के कृषि मंत्री, एमडीओएनईआर के सचिव सहित केंद्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कृषि और बागवानी क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना तथा बाजार से जुड़ी संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करना रहा। चर्चा के दौरान उत्पादन, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं, भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन और लॉजिस्टिक्स में मौजूद बाधाओं की पहचान की गई। किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान कम करने और परिवहन व विपणन लागत घटाने पर विशेष जोर दिया गया।

कार्य बल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की विशिष्ट कृषि-बागवानी उत्पाद पहचान, गुणवत्ता और भौगोलिक विशिष्टताओं का लाभ उठाकर इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल अपनाने, राज्यवार प्राथमिक फसलों की पहचान करने और निर्यात-उन्मुख अवसंरचना विकसित करने की आवश्यकता बताई गई।

बैठक में खाका-आधारित (Blueprint-driven) रणनीति पर भी चर्चा हुई, जिसके तहत एक-एक उत्पाद को केंद्र में रखकर अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाएंगी। इसमें किसानों की भागीदारी, निवेश की आवश्यकता और संभावित आय वृद्धि का आकलन शामिल होगा।

एचएलटीएफ ने स्पष्ट किया कि उत्पाद-विशिष्ट और केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने से मूल्य श्रृंखला में मौजूद अक्षमताएं कम होंगी, बाजार संपर्क मजबूत होगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों की आय में दीर्घकालिक, टिकाऊ वृद्धि सुनिश्चित की जा सकेगी।