Lakhimpur Kheri | पानीपत–गोरखपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर लखीमपुर खीरी के 19ग्रामसभाओं होकर से गुजरेगा
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पानीपत–गोरखपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर लखीमपुर खीरी जिले के 19 ग्रामसभाओं से होकर प्रस्तावित है।.
एनएचएआई ने धारा 3(ए) के तहत अधिसूचना से पहले गांवों के नामों का सत्यापन शुरू किया।.
परियोजना से कनेक्टिविटी बेहतर होगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है।.
Lakhimpur / उत्तर प्रदेश में सड़क अवसंरचना को आधुनिक और सुदृढ़ बनाने की दिशा में पानीपत से गोरखपुर तक प्रस्तावित हाई-स्पीड एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरिडोर परियोजना के दूसरे चरण में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इस परियोजना के तहत लखीमपुर खीरी जिले के कुल 72 गांव प्रस्तावित एलाइनमेंट में आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा इन गांवों के नामों का राजस्व अभिलेखों के अनुसार सत्यापन कराने के लिए जिला प्रशासन से प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसी क्रम में एनएचएआई की परियोजना क्रियान्वयन इकाई, बरेली ने 12 दिसंबर 2025 को जिलाधिकारी एवं भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी, लखीमपुर खीरी को पत्र भेजा। पत्र में बताया गया कि परियोजना के प्रस्तावित एलाइनमेंट को सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति मिल चुकी है और अब राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 3(ए) के तहत प्रारूप अधिसूचना जारी किए जाने से पहले प्रभावित गांवों के नामों का परीक्षण आवश्यक है।
यह हाई-स्पीड कॉरिडोर पानीपत से गोरखपुर के बीच विकसित किया जा रहा है, जिसमें फेज-2 पवायां से गोरखपुर खंड शामिल है। परियोजना को 4/6 लेन के एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है। इससे लंबी दूरी की यात्रा में समय की बचत होगी और यातायात अधिक सुरक्षित बनेगा। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य इंटरकॉन्टिनेंटल कंसल्टेंट्स एंड टेक्नोक्रेट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इनोवेटिव इंजीनियरिंग एडवाइजरी एलएलपी के सहयोग से किया जा रहा है।
दस्तावेजों के अनुसार, लखीमपुर खीरी जिले की गोला गोकरणनाथ, मोहम्मदी और लखीमपुर खीरी सदर तहसीलों के अंतर्गत आने वाले कुल 19 ग्रामसभाओं के गांव इस परियोजना से प्रभावित होंगे। इन गांवों के नाम भारत सरकार के असाधारण राजपत्र में प्रकाशित होने वाली प्रारूप अधिसूचना में शामिल किए जाने हैं। एनएचएआई ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि सभी गांवों के नामों का सत्यापन शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन में देरी न हो।
धारा 3(ए) की अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि अधिग्रहण की आगे की वैधानिक प्रक्रियाएं शुरू होंगी। इनमें मुआवजा निर्धारण, आपत्तियों का निस्तारण और पुनर्वास से जुड़ी कार्यवाही शामिल है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया कानून के अनुरूप, पारदर्शी तरीके से और राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर संपन्न कराई जाएगी, ताकि प्रभावित किसानों और ग्रामीणों के हित सुरक्षित रह सकें।
विशेषज्ञों के अनुसार पानीपत–गोरखपुर हाई-स्पीड एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों को एक आधुनिक सड़क नेटवर्क से जोड़ेगा। इससे कृषि उत्पादों, औद्योगिक सामान और यात्री यातायात की आवाजाही तेज होगी। लखीमपुर खीरी जैसे कृषि प्रधान जिले को बेहतर कनेक्टिविटी मिलने से स्थानीय बाजारों, व्यापार और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने की संभावना है।
हालांकि, भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में मुआवजे और भूमि उपयोग से संबंधित चिंताएं भी सामने आ सकती हैं। प्रशासन की ओर से यह संकेत दिया गया है कि प्रभावितों की समस्याओं को सुनने और समाधान के लिए नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाएगी। आने वाले समय में परियोजना से जुड़े विस्तृत नक्शे, अधिग्रहण की सीमा और मुआवजा से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने की संभावना है।
कुल मिलाकर पानीपत से गोरखपुर तक प्रस्तावित यह हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजना उत्तर प्रदेश की आधारभूत संरचना को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है। अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और प्रशासनिक निर्णय इस परियोजना की गति और समय-सीमा तय करेंगे।