ऊर्जा सुरक्षा को बल देने हेतु कोयला अन्वेषण अनुमोदन प्रक्रिया सरल, निजी भागीदारी को बढ़ावा
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कोयला मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया
सुधारों से कोयला ब्लॉकों का शीघ्र संचालन, ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मिलेगी गति
कोयला मंत्रालय ने अन्वेषण और भूवैज्ञानिक रिपोर्ट अनुमोदन प्रक्रिया सरल कर तीन महीने तक की देरी को खत्म करने की पहल की
Delhi/ देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला और लिग्नाइट संसाधनों के अन्वेषण को तेज़ और तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बनाने की दिशा में कोयला मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार पारदर्शिता, कार्यक्षमता और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देते हुए ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में निरंतर सुधार लागू कर रही है। इसी क्रम में मंत्रालय ने कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों के लिए अन्वेषण कार्यक्रमों एवं भूवैज्ञानिक रिपोर्टों (जीआरएस) की अनुमोदन प्रक्रिया को सरल कर दिया है।
नई व्यवस्था के तहत अब क्यूसीआई-एनएबीईटी और अन्य मान्यता प्राप्त पूर्वेक्षण एजेंसियों (एपीए) द्वारा तैयार रिपोर्टों के अनुमोदन में जनवरी 2022 में गठित समिति की मंजूरी आवश्यक नहीं होगी। यह बदलाव अन्वेषण इको सिस्टम में व्यापार सुगमता बढ़ाने और प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
सरकार द्वारा किया गया यह निर्णायक सुधार निजी पूर्वेक्षण एजेंसियों की दक्षता, विशेषज्ञता और नवाचार पर भरोसा दर्शाता है। इससे न केवल अन्वेषण की गति बढ़ेगी, बल्कि भूवैज्ञानिक रिपोर्ट की मंजूरी में लगभग तीन महीने की बचत भी होगी, जिससे कोयला ब्लॉकों का संचालन जल्द शुरू हो सकेगा। इससे आवंटी संस्थाओं को लक्ष्य समय पर पूरा करने में सहूलियत मिलेगी।
यह कदम अन्वेषण समयसीमा को कम करने, पारदर्शिता बढ़ाने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। दूरदर्शी सुधारों के माध्यम से कोयला मंत्रालय आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 की दृष्टि के अनुरूप देश को ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक मज़बूती और स्थिरता प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।