निवेश सुविधा पर उभरते रुझान: भारत मंडपम में वैश्विक कार्यशाला का आयोजन

Tue 16-Dec-2025,04:35 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

निवेश सुविधा पर उभरते रुझान: भारत मंडपम में वैश्विक कार्यशाला का आयोजन
  • भारत मंडपम में आयोजित कार्यशाला में निवेश सुगमीकरण, व्यापार सुगमता और वैश्विक निवेश ढांचे पर नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने विचार साझा किए।

  • सरकारी सुधारों, डिजिटल अनुपालन, गैर-आपराधिकीकरण और एफडीआई वृद्धि को निवेश आकर्षण के प्रमुख कारक के रूप में रेखांकित किया गया।

  • डब्ल्यूटीओ परिप्रेक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के माध्यम से निवेश सुविधा के प्रभावी मॉडल प्रस्तुत किए गए।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के व्यापार और निवेश विधि केंद्र (सीटीआईएल) ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी), संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी), विश्व बैंक और विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सहयोग से नई दिल्ली के भारत मंडपम में “निवेश सुविधा परिदृश्य: उभरते रुझान और दृष्टिकोण” विषय पर एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य निवेश सुगमीकरण और व्यापार करने में सरलता से जुड़े वैश्विक और घरेलू रुझानों का विश्लेषण करना था।

कार्यशाला में नीति निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया, जिनमें भारत का निवेश सुगमता दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय निवेश सुगमता ढांचा और निवेश सुविधा व व्यापार सुगमता के बीच संबंधों पर गहन चर्चा हुई। इन सत्रों में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के घरेलू सुधारों को किस प्रकार वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

वक्ताओं ने भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रमुख सुधारों—जैसे लाइसेंस विवेकीकरण, गौण अपराधों का गैर-आपराधिकीकरण, डिजिटल अनुपालन प्रणाली, बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संतुलित विनियमन—को निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत बताया। इन सुधारों को घरेलू और विदेशी दोनों प्रकार के निवेश को आकर्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया। सेवाओं के क्षेत्र में बढ़ते विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) और भारत-ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) जैसी पहलों को भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में सशक्त बनाने वाला बताया गया।

चर्चाओं में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के संदर्भ में निवेश सुगमीकरण पर भी विचार किया गया। निवेश संरक्षण समझौतों, सहयोग और सुविधा निवेश समझौतों (सीएफआईए) तथा निवेश प्रावधानों वाले व्यापार समझौतों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। नाइजीरिया, वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के अनुभवों से यह स्पष्ट किया गया कि पारदर्शी नीतियां और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र निवेश को आकर्षित करने और बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

प्रत्येक तकनीकी सत्र का समापन संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिससे प्रतिभागियों और विशेषज्ञों के बीच सार्थक विचार-विमर्श संभव हो सका। कार्यक्रम को वाणिज्य विभाग, डीपीआईआईटी, नीति आयोग और अन्य प्रमुख संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने संबोधित किया। यह कार्यशाला निवेश सुगमीकरण पर नीतिगत संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में उभरी।