भारत-अमरीका 2026 एलपीजी आयात समझौता: ऊर्जा सुरक्षा का ऐतिहासिक कदम

Mon 17-Nov-2025,05:57 PM IST +05:30

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भारत-अमरीका 2026 एलपीजी आयात समझौता: ऊर्जा सुरक्षा का ऐतिहासिक कदम 2.2 मिलियन टन एलपीजी अनुबंध से भारतीय परिवारों को मिलेगी किफायती गैस
  • 2026 के लिए 2.2 एमटीपीए अमरीकी एलपीजी आयात का ऐतिहासिक अनुबंध

  • भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति विविधता को मिलेगी मजबूती

  • उज्ज्वला लाभार्थियों को किफायती दरों पर एलपीजी की उपलब्धता सुनिश्चित

Delhi / New Delhi :

एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा अनुबंध वर्ष 2026 के लिए अमरीकी खाड़ी तट से लगभग 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष एलपीजी आयात करने के लिए एक वर्ष की अवधि वाला अनुबंध किए जाने की घोषणा की। यह भारत के वार्षिक एलपीजी आयात का लगभग दस प्रतिशत है और भारतीय बाजार के लिए इस तरह का पहला संरचित अमरीकी एलपीजी अनुबंध है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस ऐतिहासिक निर्णय ने दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज़ी से बढ़ते एलपीजी बाजारों में से एक बाजार को अमरीका के लिए खोलने का काम किया है।

श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत अपने स्रोत विकल्पों में विविधता लाकर किफायती और विश्वसनीय एलपीजी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी प्रयास के तहत, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के अधिकारियों की एक टीम ने 21 से 24 जुलाई 2025 तक अमरीका का दौरा किया और वहां के प्रमुख उत्पादकों के साथ चर्चा की। एलपीजी खरीद के लिए मानक के रूप में माउंट बेल्वियू पर आधारित ये चर्चाएं अनुबंध को अंतिम रूप देने के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुईं।

श्री पुरी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने देश भर के घरों में सारी दुनिया की तुलना में सबसे कम कीमतों पर रसोई गैस की उपलब्धता सुनिश्चित की है। पिछले वर्ष वैश्विक रसोई गैस की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के बावजूद, उज्ज्वला योजना के तहत लाभार्थियों को लगभग 500-550 रुपये की सब्सिडी वाली कीमत पर सिलेंडर मिलते रहे, जबकि वास्तविक लागत 1100 रुपये से अधिक थी। सरकार ने इस बोझ को वहन किया और पिछले वर्ष परिवारों, विशेष तौर पर माताओं और बहनों को बढ़ती अंतरराष्ट्रीय रसोई गैस कीमतों के प्रभाव से बचाने के लिए 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की।

केंद्रीय मंत्री ने 2026 के लिए यह नई सोर्सिंग व्यवस्था को देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे लाखों परिवारों को किफायती दरों पर स्वच्छ भोजन पकाने के गैस मिलना सुनिश्चित हो सकेगा।