उत्तराखंड में 7000 करोड़ की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना का शुभारंभ
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उत्तराखंड में 7000 करोड़ की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना
केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और नैनीताल में रोपवे निर्माण
पर्यटन, रोजगार और कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार
उत्तराखंड राज्य में परिवहन एवं अवसंरचना विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आज भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, माननीय श्री अजय टम्टा जी, उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी, कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज जी, एनएचएआई (NHAI) और एनएचएलएमएल (NHLML) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में उठाया गया। इस अवसर पर, उत्तराखंड सरकार और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के अधीन राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स एवं निर्माण लिमिटेड (NHLML) के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य उत्तराखंड में लगभग 7000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से देश की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना की स्थापना करना है।
मुख्य विवरण:
इस साझेदारी का प्रमुख लक्ष्य उत्तराखंड राज्य में कनेक्टिविटी सुधारना, पर्यटन को बढ़ावा देना और शहरी क्षेत्रों में भीड़ कम करना है। दोनों पक्ष संयुक्त रूप से रोपवे परियोजनाओं के निर्माण, संचालन, प्रबंधन और रखरखाव का कार्य करेंगे। समझौते के तुरंत बाद एक SPV का गठन किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार की 51% और उत्तराखंड सरकार की 49% हिस्सेदारी होगी। यह SPV राज्य में रोपवे परियोजनाओं के सभी पहलुओं की निगरानी करेगा। इस प्रयास के तहत कई प्रमुख रोपवे परियोजनाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें शामिल हैं:
केदारनाथ रोपवे: सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी लंबी परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹4,081.28 करोड़ है। हेमकुंड साहिब रोपवे: गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी लंबी परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,730.13 करोड़ है। नैनीताल रोपवे: स्थानीय पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने वाली परियोजना।
केदारनाथ यात्रा 8-9 घंटे से घटकर 36 मिनट रह जाएगी। प्रतिदिन 20,000 से अधिक यात्रियों की यात्रा सुविधा। 12,000 से 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, सभी मौसमों में सुगम कनेक्टिविटी। पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा। परियोजना से उत्पन्न 90% लाभ को उत्तराखंड के पर्यटन, परिवहन और विकास में खर्च किया जाएगा। रोजगार के व्यापक अवसर विशेषकर पर्यटन, परिवहन और सहायक उद्योगों में। राज्य को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर उच्च पहचान प्रदान करना।
भारत के 30% भूभाग में फैले पर्वतीय क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता को साकार करने हेतु सरकार द्वारा "पर्वतमाला योजना" प्रारंभ की गई है। उत्तराखंड में यह रोपवे परियोजना इसी प्रयास का हिस्सा है। पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय में 250% की वृद्धि की है। यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों में आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और कुशल परिवहन समाधान प्रदान करेगी।
यह समझौता उत्तराखंड के अवसंरचना विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल पर्यटन को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसरों का सृजन भी होगा। सरकार का यह प्रयास "सशक्त भारत" के निर्माण की दिशा में एक सार्थक कदम है।