मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आज हम देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण की शुरुआत का ऐलान कर रहे हैं। मैं बिहार के मतदाताओं को विशेष रूप से शुभकामनाएं देता हूं और उन 7.5 करोड़ मतदाताओं को नमन करता हूं जिन्होंने इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाई और इसे सफल बनाया।” उन्होंने बताया कि आयोग ने इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने बताया कि जिन 12 राज्यों में दूसरे चरण की एसआईआर प्रक्रिया लागू की जाएगी, वहां की मतदाता सूचियों को आज रात 12 बजे फ्रीज (Freeze) कर दिया जाएगा। इसके बाद बीएलओ (Booth Level Officers) द्वारा सभी मौजूदा मतदाताओं को विशिष्ट गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) वितरित किए जाएंगे। इन प्रपत्रों में वर्तमान मतदाता सूची से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ शामिल होंगी। बीएलओ द्वारा दिए गए इन प्रपत्रों के माध्यम से मतदाता यह सत्यापित कर सकेंगे कि उनका नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में था या नहीं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति का नाम 2003 की मतदाता सूची में था, तो उसे कोई अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, यदि किसी मतदाता का नाम नहीं है, लेकिन उसके माता-पिता के नाम सूची में हैं, तो ऐसे मामलों में भी अतिरिक्त दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बताया कि 2002 से 2004 के बीच की मतदाता सूचियाँ आयोग की वेबसाइट http://voters.eci.gov.in पर उपलब्ध कराई जाएंगी, जहाँ कोई भी व्यक्ति स्वयं जाकर मिलान कर सकेगा।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आयोग के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि देशव्यापी एसआईआर प्रक्रिया को जल्दबाजी में लागू करना उचित नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि आयोग को बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होने तक इंतजार करना चाहिए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बिहार में इस प्रक्रिया को लेकर पहले से ही “आशंकाएँ” थीं, इसलिए इसके समय पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि एसआईआर प्रक्रिया को बिना पर्याप्त तैयारी के लागू किया गया, तो इससे निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस पहल की सराहना की और कहा कि मतदाता सूचियों का राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पारदर्शिता और राजनीतिक शुचिता को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक कदम है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया देश में स्वच्छ मतदाता सूची (Clean Voter List) सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी।
जेडी(यू) नेता नीरज कुमार ने भी इस प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा कि डुप्लिकेट और मृत नामों को मतदाता सूची से हटाना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि भले ही कांग्रेस पार्टी ने इस प्रक्रिया का विरोध किया हो, लेकिन न्यायपालिका ने चुनाव आयोग के अधिकारों को बरकरार रखा है।
कुल मिलाकर, निर्वाचन आयोग का यह कदम देश के लोकतांत्रिक ढाँचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। एसआईआर के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाता सूची सटीक, अद्यतन और निष्पक्ष बनी रहे, जिससे हर पात्र नागरिक को लोकतंत्र के इस सबसे अहम अधिकार — मतदान — में समान भागीदारी का अवसर मिल सके।