ग्रीन टी आधारित नैनो तकनीक से अल्जाइमर उपचार में बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि
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हरी चाय आधारित नैनोकण अल्जाइमर के चार प्रमुख रोग तंत्रों को एक साथ लक्षित कर स्मृति और संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार दिखा रहे हैं।
आईएनएसटी मोहाली के वैज्ञानिकों ने बीडीएनएफ युक्त बहुक्रियाशील नैनोप्लेटफॉर्म विकसित कर न्यूरोनल पुनर्जनन को बढ़ावा दिया।
प्रयोगशाला और पशु मॉडलों में इस तकनीक ने विषाक्त एमिलॉयड प्लाक, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को प्रभावी रूप से कम किया।
हरी चाय में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनॉल, न्यूरोट्रांसमीटर और अमीनो एसिड को एकीकृत करने वाले नैनोकणों पर आधारित एक नवीन वैज्ञानिक पद्धति अल्जाइमर रोग (एडी) के उपचार में आशाजनक संभावना दिखा रही है। यह बहुआयामी दृष्टिकोण न केवल रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है, बल्कि स्मृति, सीखने की क्षमता और संज्ञानात्मक कार्यों में सुधार भी कर सकता है।
अल्जाइमर रोग विश्वभर में एक गंभीर और बढ़ती हुई स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी घटनाएं बढ़ती हैं, जिससे रोगियों, परिवारों और स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी आर्थिक व सामाजिक बोझ पड़ता है। पारंपरिक उपचार अक्सर रोग के किसी एक पहलू-जैसे एमिलॉयड प्लाक का जमाव या ऑक्सीडेटिव तनाव-को ही लक्षित करते हैं, जिससे सीमित लाभ मिल पाता है। चूंकि अल्जाइमर एक बहुआयामी न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है, इसलिए इसके लिए बहुक्रियाशील उपचार रणनीति की आवश्यकता होती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान, मोहाली स्थित नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के शोधकर्ताओं ने नैनो प्रौद्योगिकी, आणविक जीवविज्ञान और कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग को एकीकृत करते हुए एक अभिनव उपचार मंच विकसित किया है। इस पद्धति में एपिगैलोकैचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी), डोपामाइन और ट्रिप्टोफैन को मिलाकर ईजीसीजी-डोपामाइन-ट्रिप्टोफैन नैनोकण (ईडीटीएनपी) तैयार किए गए हैं। यह संयोजन एक साथ एमिलॉयड एग्रीगेशन, ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन और न्यूरोनल क्षरण-अल्जाइमर के चार प्रमुख रोग लक्षणों को लक्षित करता है।
इस तकनीक को और प्रभावी बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (बीडीएनएफ) को इन नैनोकणों में सम्मिलित किया, जिससे बी-ईडीटीएनपी नामक दोहरी क्रियाशील नैनोप्लेटफॉर्म विकसित हुआ। यह मंच न केवल न्यूरोटॉक्सिक एमिलॉयड बीटा प्लाक को साफ करता है, बल्कि तंत्रिका कोशिकाओं के पुनर्जनन को भी प्रोत्साहित करता है जो अल्जाइमर उपचार में एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रयोगशाला परीक्षणों और चूहे के मॉडलों में, इन नैनोकणों ने विषाक्त प्लाक को विघटित किया, मस्तिष्क की सूजन को कम किया, कोशिकीय संतुलन बहाल किया और स्मृति व सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार दिखाया। कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन से यह भी पुष्टि हुई कि ये नैनोकण हानिकारक प्रोटीन तंतुओं से सीधे जुड़कर उन्हें आणविक स्तर पर अलग कर देते हैं। प्रतिष्ठित जर्नल “स्मॉल” में प्रकाशित यह शोध अल्जाइमर के लिए अधिक प्रभावी, समग्र और भविष्य-उन्मुख उपचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।