NPDD और गोकुल मिशन से पंजाब में डेयरी क्षेत्र को मजबूती, करोड़ों की सहायता

Tue 16-Dec-2025,05:42 PM IST +05:30

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NPDD और गोकुल मिशन से पंजाब में डेयरी क्षेत्र को मजबूती, करोड़ों की सहायता
  • NPDD के तहत पशुपालकों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, संतुलित आहार और आधुनिक डेयरी तकनीकों पर प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता।

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन से पंजाब में प्रजनन केंद्र, दुग्ध प्रतियोगिताएं और बछड़ा रैलियों को बढ़ावा, पशु उत्पादकता में सुधार।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ भारत सरकार का पशुपालन और डेयरी विभाग देशभर में, विशेष रूप से पंजाब में, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) और राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य पशुपालक किसानों और दूध उत्पादकों की आय बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता सुधारना और आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाना है।

NPDD के तहत पशुपालक किसानों, दुग्ध उत्पादकों और डेयरी कोऑपरेटिव सोसाइटी (डीसीएस) के कर्मचारियों व सदस्यों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, पशु स्वच्छता, संतुलित पशु आहार, हरे चारे का उपयोग, मिनरल मिक्सचर अपनाने और उन्नत प्रबंधन तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
पंजाब राज्य के लिए 11 दिसंबर 2025 तक 445.63 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 109.75 लाख रुपये का उपयोग किया जा चुका है।

वहीं राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत पंजाब सहित विभिन्न राज्यों को पशु प्रजनन केंद्रों की स्थापना, दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिताओं और बछड़ा रैलियों के आयोजन के लिए सहायता दी जा रही है। योजना की शुरुआत से अब तक पंजाब को 58.97 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जिसमें से 56.40 करोड़ रुपये का प्रभावी उपयोग किया गया है। इन गतिविधियों का उद्देश्य स्वदेशी नस्लों का संरक्षण, पशु उत्पादकता में सुधार और किसानों को प्रोत्साहन देना है।

सरकार द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित मानकों और स्वीकृत प्रतिभागियों की संख्या के अनुसार आयोजित हों, ताकि अधिक से अधिक पशुपालक लाभान्वित हो सकें।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (लल्लन सिंह) ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि ये योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और डेयरी क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।