लोटस लाइट प्रदर्शनी में पिपरावा अवशेष, भारत की बौद्ध विरासत का भव्य प्रदर्शन
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लोटस लाइट प्रदर्शनी पिपरावा अवशेषों के माध्यम से भारत की बौद्ध विरासत और आध्यात्मिक परंपरा को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाती है।
ऐतिहासिक कथाएं और व्याख्यात्मक प्रस्तुतियां बुद्ध की शिक्षाओं और भारत के बौद्ध मूल से जुड़ाव को स्पष्ट करती हैं।
Delhi/ संस्कृति मंत्रालय भारत की बौद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर रेखांकित करने के उद्देश्य से “लोटस लाइट: रेलिक्स ऑफ द अवेकेंड वन” शीर्षक से एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। इस प्रदर्शनी में पूजनीय पिपरावा अवशेषों सहित उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण प्राचीन वस्तुओं को पहली बार इतने व्यापक और सुव्यवस्थित रूप में जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इस प्रतिष्ठित प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 3 जनवरी 2026 को नई दिल्ली स्थित राय पिथोरा सांस्कृतिक परिसर में करेंगे। यह आयोजन भारत के सांस्कृतिक और राजनयिक इतिहास में एक अहम क्षण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें प्रदर्शित पवित्र अवशेषों को विश्वभर के बौद्ध समुदाय अत्यंत श्रद्धा के साथ देखते हैं।
पिपरावा अवशेषों की खोज 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई थी और इन्हें व्यापक रूप से गौतम बुद्ध के पार्थिव अवशेषों से संबद्ध माना जाता है, जिन्हें शाक्य वंश द्वारा प्रतिष्ठित किया गया था। इन अवशेषों का प्रत्यावर्तन और सार्वजनिक प्रदर्शन भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके तहत वह अपनी सभ्यतागत धरोहर की रक्षा और आध्यात्मिक मूल्यों के संरक्षण पर बल देता है।
प्रदर्शनी में पवित्र अवशेषों के साथ-साथ उनके ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पुरातात्विक संदर्भों को समझाने वाली व्याख्यात्मक कथाएं, दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतियां और शोध-आधारित विवरण शामिल होंगे। यह आयोजन विद्वानों, बौद्ध भिक्षुओं, श्रद्धालुओं और आम जनता सभी के लिए ज्ञान, चिंतन और संवाद का एक साझा मंच प्रदान करेगा। इसके माध्यम से भारत एक बार फिर स्वयं को बौद्ध धर्म के उद्गम स्थल के रूप में स्थापित करता है और बुद्ध की शिक्षाओं में निहित शांति, करुणा और ज्ञान के सार्वभौमिक संदेश को आगे बढ़ाता है।