शिबू सोरेन का निधन: झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत

Mon 04-Aug-2025,02:59 PM IST +05:30

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शिबू सोरेन का निधन: झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में सोमवार सुबह निधन हो गया।
  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन।

  • राज्य सरकार ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया।

  • झारखंड आंदोलन और आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में शिबू सोरेन की ऐतिहासिक भूमिका।

Jharkhand / Ranchi :

Ranchi / झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में सोमवार सुबह निधन हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद अपने पिता के निधन की जानकारी दी। शिबू सोरेन पिछले कई दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे और दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें किडनी संबंधी समस्या और हाल ही में आया स्ट्रोक होने के कारण वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। अस्पताल ने सुबह 8:56 बजे उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में चार दशकों से अधिक समय तक आदिवासी समाज की आवाज बनकर कार्य किया और झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने वाले आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी, जो आगे चलकर राज्य की सबसे प्रभावशाली पार्टी बनी। वर्ष 2000 में झारखंड के गठन में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। उनकी दूसरी राज्यसभा सदस्यता वर्तमान में चल रही थी। उनका संसदीय क्षेत्र डुमका, लंबे समय तक JMM का गढ़ रहा, हालाँकि 2019 में वह इस सीट से चुनाव हार गए थे। वे वर्ष 2005 में पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण नौ दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

उनकी तबीयत खराब होने के चलते उन्हें जुलाई के अंतिम सप्ताह में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कुछ दिन पहले उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई थी और लगातार देखरेख में लगे हुए थे।

शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड सरकार ने राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और किसी भी सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा।

संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले में हुआ था, जो उस समय बिहार का हिस्सा था। वे हमेशा से आदिवासी हकों, अधिकारों और सामाजिक न्याय की बात करते रहे।

उनके जाने से झारखंड की राजनीति में जो रिक्तता आई है, उसे भरना आसान नहीं होगा। वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन की पहचान थे।