नेशनल हेराल्ड केस: दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस, सोनिया-राहुल को बड़ा झटका

Tue 23-Dec-2025,01:09 PM IST +05:30

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नेशनल हेराल्ड केस: दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस, सोनिया-राहुल को बड़ा झटका
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी की याचिका स्वीकार कर सोनिया और राहुल गांधी सहित आरोपियों को नोटिस जारी किया, अगली सुनवाई मार्च 2026 में होगी।

  • कांग्रेस ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए आरोपों को निराधार और प्रेरित करार दिया है।

Delhi / New Delhi :

New Delhi/ नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेतृत्व को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित अन्य आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई स्वीकार कर ली है। मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च 2026 को निर्धारित की गई है।

यह घटनाक्रम तब सामने आया जब राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी की दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ईडी ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर अदालत ने सुनवाई का रास्ता खोलते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।

ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में दलील दी कि चार्जशीट में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के ठोस संकेत हैं। एजेंसी का दावा है कि मात्र 50 लाख रुपये के लेन-देन के माध्यम से लगभग 2,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल किया गया। ईडी ने यह भी कहा कि जून 2014 में दायर निजी शिकायत पर निचली अदालत ने संज्ञान लिया था, जिस पर बाद में उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया।

चार्जशीट में जिन नामों का उल्लेख है, उनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। एजेंसी के अनुसार, यह मामला कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा गंभीर आर्थिक अपराध है।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए कहा है कि यह कार्रवाई विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश है। पार्टी का तर्क है कि मामले में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।

नेशनल हेराल्ड प्रकरण का मूल आरोप यह है कि अखबार की प्रकाशक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों पर कथित रूप से अनुचित तरीके से नियंत्रण हासिल करने का प्रयास किया गया। यह मामला 2012 में दायर एक याचिका से शुरू हुआ था और तब से न्यायिक प्रक्रिया के विभिन्न चरणों से गुजर रहा है।