वर्धा में ठंडी रात, पुल के नीचे सोता व्यक्ति और मानवीय संवेदना का सवाल

Wed 24-Dec-2025,12:31 AM IST +05:30

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वर्धा में ठंडी रात, पुल के नीचे सोता व्यक्ति और मानवीय संवेदना का सवाल Cold-Night-in-Wardha-Raises-Humanitarian-Concerns-as-Man-Sleeps-Under-Flyover
  • वर्धा के जूना पानी चौक पर ठंडी रात में खुले में सोता एक व्यक्ति प्रशासनिक सतर्कता और मानवीय संवेदना पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

  • 9 से 11 डिग्री तापमान में केवल चादर और कंबल में सोते व्यक्ति के साथ आवारा कुत्तों का होना संभावित खतरे की ओर इशारा करता है।

Maharashtra / Wardha :

वर्धा/ महाराष्ट्र, नागपुर से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित वर्धा, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और स्वतंत्रता संग्राम की विरासत के लिए जाना जाता है, एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह इतिहास नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और प्रशासनिक जिम्मेदारी से जुड़ा एक गंभीर दृश्य है।

वर्धा के जूना पानी चौक पर मंगलवार रात करीब 10 बजे एक व्यक्ति को पुल के पास नीचे बनी पट्टी पर सोते हुए देखा गया। हैरानी की बात है कि वर्धा का रात का तापमान लगभग 9 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच तक जाता है, यानी कड़ाके की ठंड। इसके बावजूद वह व्यक्ति केवल एक चादर और हल्के कंबल में ज़मीन पर लेटा हुआ था।

जूना-पानी चौक वर्धा का एक महत्वपूर्ण चौराहा है। एक ओर से रास्ता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की ओर जाता है, दूसरी ओर आर्वी नाका चौराहा और शहर का मुख्य क्षेत्र है, तीसरा मार्ग नागपुर की ओर जाता है, जबकि चौथा रास्ता नजदीकी समृद्धि महामार्ग से जुड़ता है। इतनी व्यस्त जगह पर इस तरह किसी व्यक्ति का रात गुजारना कई सवाल खड़े करता है।

स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि यह व्यक्ति पिछले तीन–चार दिनों से यहीं रात गुजार रहा है। उसे जगाने की कोशिश भी की गई, लेकिन वह जागा नहीं। इस दृश्य को और भी असामान्य बनाता है उसके आसपास 8 से 10 छोटे-बड़े आवारा कुत्तों और उनके बच्चों का साथ में सोना।

यह दृश्य देखकर साहित्य प्रेमियों को मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी “पूस की रात” याद आ जाती है, जहां हल्कू और उसका कुत्ता ठंड से बचने के लिए एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। यहां भी इंसान और जानवर ठंड से बचने के लिए मानो एक-दूसरे के पूरक बन गए हों।

हालांकि, इसका दूसरा पहलू बेहद चिंताजनक है। अगर रात के समय किसी कारणवश कुत्ते आक्रामक हो जाएं, तो एक बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में सवाल उठता है कि यह व्यक्ति इस तरह खुले में ठंड के बीच कितने दिन तक सुरक्षित रह सकता है?

इस मामले को लेकर AGCNN की टीम ने संबंधितों को जानकारी देने की कोशिश की है, ताकि समय रहते इस व्यक्ति के लिए उचित आश्रय, चिकित्सा जांच और सुरक्षा व्यवस्था की जा सके और कोई दुखद घटना न हो।

यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन की सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है, कि इतिहास की धरती पर वर्तमान में कोई भी जीवन उपेक्षित न रह जाए।